उत्तर प्रदेश सरकार ने विकास योजनाओं में अल्पसंख्यकों की 20 प्रतिशत भागीदारी सुनिश्चित करने का निर्णय लिया है.
इसके लिए 30 विभागों की 85 योजनाओं को सूचीबद्ध करने का फैसला किया गया है.
सरकार ने यह निर्णय सच्चर कमेटी की रिपोर्ट को आधार बनाकर लिया है.
राज्य कैबिनेट ने मंगलवार को निर्णय लिया कि प्रदेश के 30 विभागों की कुल 85 योजनाओं की 20 प्रतिशत धनराशि अल्पसंख्यक हितों में खर्च की जाएगी.
शासन स्तर पर मुख्य सचिव व जिला स्तर पर डीएम की अध्यक्षता में समितियों का गठन होगा. इनमें 2-2 सदस्य अल्पसंख्यक समुदाय के नामित होंगे.
अल्पसंख्यक समुदाय में मुसलमान, सिख, पारसी, जैन एवं बौद्ध शामिल हैं. इसमें सिख, पारसी एवं जैन बिरादरी आर्थिक रूप से सम्पन्न मानी जाती है. इसमें मुसलमान बिरादरी की ही स्थिति सबसे कमजोर है. ऐसे में सरकारी योजनाओं का लाभ भी इसी बिरादरी को ज्यादा मिलेगा.
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 2010 में कहा था कि देश के संसाधनों पर पहला हक मुसलमानों का है। कांग्रेस नेता के रूप में मनमोहन सिंह का यह बयान उस समय आया था, जब देश में मुसलमानों की गरीबी एवं आर्थिक पिछड़ेपन की स्थिति का आकलन करने के लिए गठित रंगनाथ मिश्र एवं सच्चर कमेटी की रिपोर्टों में उनकी कमजोर आर्थिक स्थिति का उल्लेख हुआ था. इसमें कहा गया था कि मुस्लिम की आर्थिक स्थिति देश की अनुसूचित जाति/जनजाति से भी ज्यादा विपन्न है.
ऐसे में मुस्लिम राजनीति को लेकर देश में चलने वाली साम्प्रदायिकता की बयार में पहली बार ऐसा लगा था कि सरकारें अब देश के सबसे गरीब तबके मुस्लिम समुदाय के आर्थिक विकास के लिए संजीदगी से कदम उठाएगी. लगभग तीन वर्ष से ज्यादा का समय होने के बाद भी केन्द्र की कांग्रेस शासित संप्रग सरकार ने इस दिशा में कदम नहीं उठाया परन्तु उसी की सहयोगी समाजवादी पार्टी की अखिलेश यादव सरकार ने वह कर दिखाया जो अभी तक कांग्रेस सब्जबाग दिखा रही थी.