“विश्वजीत सेन अद्भुत व्यक्तित्व के मालिक थे और उनकी बंग्ला, हिन्दी, उर्दु और अंग्रेजी की कविताओं पर एक सी पकड़ थी। वो जंगली घोडे पर सवारी करने वाली जिंदादिल शख्सियत थे। ” ये बातें बिहार संगीत नाटक अकादमी के अध्यक्ष आलोक धन्वा ने अभियान सांस्कृतिक मंच एवं पटना के नागरिकों द्धारा आयोजित कवि, लेखक, कालमनिस्ट और वामपंथी नेता विश्वजीत सेन की श्रद्धांजलि सभा में कही।
श्रद्धांजलि सभा को संबोधित करते हुए वयोवृद्ध वामपंथी नेता वसी अहमद ने कहा वाम आंदोलन और भारतीय राजनीति के बदलते मूल्यों से विश्वजीत सेन विचलित थे और उन्होने अपनी लेखनी के माध्यम से प्रगतिशील मूल्यों को बचाए रखने के लिए संघर्ष किया। उन्होने विश्वजीत सेन और उनके पिता डा ए के सेन को याद करते हुए कहा कि डा सेन की तरह ही विश्वजीत सेन का सामाजिक सरोकारों से जीवन भर रिश्ता रहा और बहुत गहरी आर्थिक तंगी में भी जरूरतमंदों के लिए उन्होने कभी अपनी मुठ्ठी बंद नहीं की।
सी पी आई के राज्य सचिव सत्यनारायण सिंह ने कहा कि विश्वजीत सेन ने कम्युनिस्ट आंदोलन में जो “माओवाद” नामक वामपंथी बचकाना मर्ज के खतरे को हमेशा अपनी लेखनी के जरिए चिन्हित किया। वही सी पी आई के पूर्व राज्य सचिव बद्री नारायण लाल ने कहा कि बंगाल पर उनका लेखन हमें अपनी समझ को बढ़ाने और दुरूस्त करने में मदद करता है।
गौरतलब है कि विश्वजीत सेन का देहांत 18 जुलाई को लंबी बीमारी के बाद पटना के एक निजी अस्पताल में हो गया था। उनको याद करते हुए वरिष्ठ कथाकार ऋषीकेश सुलभ ने कहा “किसी चीज से अगर असहमति हो, तो उसको झट से कह देना, ये कला हमने नादू दा (विश्वजीत सेन) से ही सीखी। ”वरिष्ठ रंगकर्मी जावेद अख्तर ने कहा कि “विश्वजीत सेन विध्वंसक राजनीति करने वालों के दिल में दहशत पैदा करते थे। उन्होने कहा कि 30 साल पहले राम की शक्ति पूजा जो हिन्दी की सबसे कठिन कविता मानी जाती है उसका उन्होने सस्वर पाठ पटना में किया था।”
मनोचिकित्सक डा विनय कुमार ने विश्वजीत सेन द्धारा अनुवादित जीवनानंद दास की एक कविता का पाठ किया।
मौके पर ए आई एस एफ के राष्ट्रीय सचिव विश्वजीत कुमार ने कहा कि वो उम्र मे बड़े थे लेकिन उनका व्यवहार हमेशा मित्रवत रहा। वहीं चिकित्सक ए के गौड़ ने कहा कि विश्वजीत सेन अराजक थे लेकिन वो दिलचस्प आदमी भी बहुत थे।
रगकर्मी मोना झा, सामाजिक कार्यकर्ता अक्षय, ए आई एस एफ के सुशील, लेखक नरेन्द्र, प्रो संतोष कुमार, पटना विश्विविद्दालय के रिटायर्ड प्रोफेसर एस के गांगुली, भाकपा माले ( कानू सान्याल) के नंद किशोर सिंह, पत्रकार मनीष शांडिल्य, सामाजिक राजनीतिक कार्यकर्ता मोहन प्रसाद, वरिष्ठ वामपंथी नेता रामलोचन प्रसाद सिंह, अधिवक्ता मदन प्रसाद सिंह ने भी अपनी बात रखी। श्रद्धांजलि सभा की अध्यक्षता राम लला सिंह ने की। सभा के अंत में एक मिनट का मौन ऱखा गय़ा।