सुप्रीम कोर्ट ने उस अर्जी को स्वीकार कर लिया है जिसमें शशिकांत शर्मा को सीएजी नियुक्त किये जाने को चुनौती दी गयी है.
एडवोक्टे एमएल शर्मा ने अपनी अर्जी में उनकी नियुक्ति को चैलेंज करते हुए कहा है कि चूंकि शशकांत शर्मा पिछले दस सालों से अतिसंवेदनशील पदों पर रहे हैं और इस दौरान उन्होंने अरबों रुपये की खरीद की जिम्मेदारी निभाई है ऐसे में वह एक आडिटर के हैसियत से खुद अपने द्वारा खर्च किये गये धन का खुद ही हिसाब किताब नहीं कर सकते.
अदालत ने इस अर्जी को स्वीकार करते हुए जुलाई में सुनाई की तारीख तय की है.
शशिकांत शर्मा को 23 मई को राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने नियंत्रक एंव महालेखा परीक्षक के पद की शपथ दिलायी है. शर्मा इससे पहले रक्षा सचिव के पद पर थे. रक्षा सचिव की हैसियत से उनके नेतृत्व में अरबों रुपये के सैन्य सामान की खरीद हुई है.
शशिकांत शर्मा बिहार कैडर से 1976 बैच के आईएएस अफसर हैं.शर्मा की निजी जिंदगी की खास बात यह है कि वह नोएडा में अपने आलीशान घर से सालाना 48 लाख रुपये बतौर किराया हासिल करते हैं. इन्होंने अपना करियर बिहार के बांका से एसडीओ के रूप में शुरू की थी. वह बाद में पटना समेत बिहार के अनेक जिलों के डीएम भी रहे. वह मूल रूप से उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं.