शिक्षक दिवस के अवसर पर एलिट इंस्टिच्यूट ने बदलते परिवेश में शिक्षा विषय पर एक परिचर्चा का आयोजन किया. इस अवसर पर एलिट के निदेशक अमरदीप झा गौतम ने शिक्षक और छात्रों के बीच के संबंध पर चर्चा की.
गौतम ने इस बात पर चिंता जतायी कि बदलते परिवेश में शिक्षा का व्यावसायीकरण तो हुआ पर इसका नुकसान छात्र और शिक्षक दोनों को हुआ है. उन्होंने कहा कि गुरुकुल की परम्परा भारतीय संस्कृति का हिस्सा रही है, लेकिन आज के युग में हमारे समाज ने खुद को इस परम्परा से अगल कर लिया है. उन्होंने ऐसे हालात के लिए शिक्षक-संस्थानों, शिक्षकों को दोषी तो माना ही साथ ही इसके लिए अभिभावकों को भी जिम्मेदार ठहराया.
उन्होंने कहा कि आज के समय में जब अभिवभावक ही अपने बच्चों से यह कहते हैं कि चाहे कुछ भी करो, अच्छे अंक लाओ. उन्होंने कहा कि अभिभावकों की इस सोच ने शिक्षा को खरीद कर हासिल करने की वस्तु बना दिया है जिसका बेजा लाभ शिक्षा के क्षेत्र में जुड़े संस्थान उठा रहे हैं.
गौतम ने इस बात के लिए भी चिंता जताई कि हमारी शिक्षा व्यवस्था से नैतिकता और राष्ट्रीयता जैसे मूल्य गौण होते जा रहे हैं. उन्होंने शैक्षिक संस्थानों का आह्वान किया कि वे अनिवार्य विषयों की पढ़ाई तो निश्चित ही करायें लेकिन युवाओ में नैतिकता, संस्कार और राष्ट्रीयता के चिंतन के विकास पर भी बल दें.
गौतम ने शिक्षा दिवस के अवसर पर अपने संस्थान की ओर से घोषणा की जो छात्र अन्य कोचिंग संस्थानों में पढ़ते हैं और वहां की पढ़ाई से संतुष्ट नहीं हैं तो उन्हें हमारा संस्थान मदद करने को तैयार है. हमारा संस्थान उनके द्वारा संबंधित संस्थानों में जमा की गयी फीस के बराबर की रकम की छूट देगा.
इस परिचर्चा में काफी संख्या में छात्र-छात्राओं के अलावा विभिन्न विषयों के शिक्षक भी मौजूद थे.