मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज आरोप लगाया कि चुनाव के कारण अभी भले ही भाजपा आरक्षण की समीक्षा के लिए संविधान से इतर व्यवस्था किये जाने के संबंध में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत के सुझावों पर अमल करने से इंकार कर रही हो लेकिन अंतत: मोदी सरकार इस दिशा में आगे कदम जरूर उठायेगी ।
श्री कुमार ने यहां बिहार विधानसभा चुनाव के लिए महागठबंधन के उम्मीदवारों की सूची जारी करने के मौके पर संवाददाता सम्मेलन में कहा कि संघ प्रमुख श्री भागवत ने मौजूदा आरक्षण व्यवस्था की समीक्षा के लिए संविधान से इतर एक अतिरिक्त संवैधानिक व्यवस्था बनाने का जो सुझाव दिया है, वह खतरनाक विचार है। उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति और जनजाति तथा अत्यंत पिछड़ी जातियों के लिए आरक्षण की व्यवस्था संविधान सम्मत है, लेकिन संघ प्रमुख इसकी समीक्षा के लिए अभिजात वर्ग की एक कमिटी बनाना चाहते हैं, जो एक अतिरिक्त संवैधानिक ईकाई के रूप में काम करे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि श्री भागवत चाहते हैं कि किसे और कितने दिनों तक आरक्षण मिले इसपर फैसला करने का अधिकार संविधान या संसद के पास नहीं बल्कि उस कमिटी के पास हो । यह एक खतरनाक सोच है, जिसे स्वीकार नहीं किया जा सकता । उन्होंने कहा कि भाजपा संघ की ही एक राजनीतिक इकाई है और संघ के ही निर्णय और विचार को भाजपा लागू करती है । इसलिए जब संघ के सर्वोच्च पद पर बैठे व्यक्ति ने कोई सुझाव दिया है तो उसे भाजपा के लिए मानना बाध्यता है ।
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