सीबीआई अब खुद के अधिक अधिकार के लिए सरकार के खिलाफ आक्रमक हो गयी है उसने कहा है कि अधिकार और पैसे के बिना जांच पर पड़ रहा असर.Ranjeet

सरकार ने पिछले दिनों सीबीआई निदेशक को सचिव स्तर का दर्जा देने की मांग को नकार दिया था. ध्यान रहे कि केंद्र सरकार ने इस महीने की 13 तारीख को ही सीबीआई के निदेशक को पदेन सचिव का दर्जा देने से साफ इनकार कर दिया था.

इसके बाद सीबीआई ने अपने हलफनामे में कहा है कि जांच एजेंसी के दिन प्रति दिन के काम में सरकारी नियंत्रण का इसके काम पर विपरीत असर भी पड़ रहा है.

हलफनामे में सीबीआई ने इतना तक कहा है कि आवश्यकता पड़ने पर इसके निदेशक के लिए एक लैपटॉप उपलब्ध कराने में सरकार ने 100 दिन लगा दिये इतना ही नहीं एक मोबाइल फोन की खराददारी के लिए सीबीआई को तीन साल तक इंतजार करना पड़ा था.

सीबीआई ने अपने हलफनामे में सीबीआई की आर्थिक लाचारी का उल्लेख करते हुए लिखा है कि ऐसे समय में जब आज स्कूली छात्रों को लैपटॉप दिये जा रहे हैं वहीं सीबीआई के विशेष सचिव के लिए एक लैपटॉप उपलब्ध कराने में 100 दिन लग जायें तो उससे स्थिति को आसानी से समझा जा सकता है.

यह हलफनामा सीबीआई के डीआईजी संजय कुमार ने दाखिल किया है.
मालूम हो कि सीबीआई को अपने लिए आर्थिक संसाधन के लिए डिपार्ठमेंट ऑफ पर्सोनल ट्रेनिंग महकमे पर निर्भर रहना पड़ता है.

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