महागठबंधन के सूत्रधार मुलायम सिंह यादव थे. लेकिन खुद उन्होंने ही गठबंधन की मिट्टी पलीद कर दी. इस पर कई सवाल उठाये गये. लेकिन अब खुलासा हो गया है कि वह क्यों गठबंधन से अलग हुए.
दैनिक भास्कर ने अपनी रिपोर्ट में जो दावा किया है. लीजिए शब्द-ब-शब्द पढ़िये
महागठबंधन के सूत्रधा रमुलायम सिंह यादव के चुनाव से ठीक पहले महागठबंधन से हटने के कई कारण गिनाए गए। खुद मुलायम ने अनदेखी का आरोप लगाया तो जदयू ने भाजपा से मिलीभगत का। अब खुलासा हुआ कि सपा सुप्रीमो के भतीजे और फिरोजाबाद से सांसद अक्षय यादव को नोएडा-ग्रेटर नोएडा के पूर्व चीफ इंजीनियर यादव सिंह ने तीन करोड़ की संपत्ति के शेयर महज एक लाख रुपए में दिए थे। दरअसल, यादव सिंह पर नाजायज तरीके से हजार करोड़ रुपए से अधिक की संपत्ति अर्जित करने के मामले की जांच सीबीआई कर रही है। इसी दौरान ये बातें भी सामने आईं, जिसके कारण सपा केंद्र सरकार और भाजपा के दबाव में थी। सूत्रों की मानें तो महागठबंधन से सपा के अलग होने की एक वहज यह भी है।
अक्षय के पिता रामगोपाल यादव सपा के महासचिव और सांसद हैं। उन्होंने ही महागठबंधन से अलग होने का ऐलान किया था। उनका यह बयान मशहूर रहा -विलय के प्रस्ताव पर साइन करके हम सपा के डेथ वारंट पर साइन नहीं कर सकते हैं। हालांकि रामगोपाल यादव और उनके सांसद पुत्र अक्षय ने इन खबरों से साफ इंकार किया है, जिसमें कहा गया है कि यादव सिंह ने अक्षय को उपकृत किया। अक्षय के मुताबिक आरोप में दम नहीं है। रामगोपाल ने आरोपों सौ परसेंट झूठ कहा। इधर राजनीतिक गलियारे में यादव सिंह प्रकरण को बिहार चुनाव में सपा की मौजूदा रणनीति से जोड़कर देखा जा रहा है। वोटों का बिखराव भाजपा के लिए फायदेमंद माना जा रहा है। महत्वपूर्ण यह भी है कि महागठबंधन से पहले मुलायम ने प्रधानमंत्री से मुलाकात की थी। रामगोपाल यादव भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से मिले थे।
एमएन बिल्डवेल का मामला
एक कंपनी है एमएन बिल्डवेल। 2013 में इस कंपनी के 9995 शेयर अक्षय यादव और पांच शेयर उनकी पत्नी रिचा यादव के नाम पर आवंटित किया गया। इसके लिए सिर्फ एक लाख रुपये का भुगतान किया गया। जबकि यह कम से कम तीन करोड़ रुपये का सौदा था।
इस कंपनी के मालिक हैं- राजीव मनोचा। यादव सिंह पर नाजायज तरीके से हजार करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति अर्जित करने के मामले की जांच सीबीआई कर रही है। यादव सिंह के घर छापेमारी में कार में 10 करोड़ रुपये मिले। यह कार राजीव मनोचा के नाम से ही है। इसीसे मनोचा, यादव सिंह और अक्षय यादव का रिश्ता जोड़ा जा रहा है।
यादव सिंह प्रकरण की सीबीआई जांच का आदेश इलाहाबाद हाई कोर्ट ने दिया था। यूपी सरकार इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में गई। इससे भी यह धारणा बनी कि यूपी सरकार यादव सिंह को बचाना चाहती है।
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