राज्य सभा और विधान परिषद के लिए होने वाले चुनाव में अब मतदान की नौबत नहीं आएगी। राज्य सभा की पांच और विधान परिषद की सात सीटों के लिए नामांकन का आज आखिरी दिन था। राज्य सभा के लिए राजद की ओर से राम जेठमलानी व मीसा भारती, जदयू की ओर से शरद यादव व आरसीपी सिंह और भाजपा की ओर से गोपाल नारायण सिंह ने नामांकन का पर्चा भरा। पांचों का निर्विरोध चुना जाना तय है। विधान परिषद के लिए राजद की ओर से कमर आलम व रणविजय सिहं, जदयू की ओर से गुलाम रसूल बलियावा व सीपी सिन्हा, भाजपा की ओर से अर्जुन सहनी व विनोद नारायण झा और कांग्रेस की ओर तनवीर अख्तर ने नामांकन किया। इन सातों का चुना जाना भी तय हो गया है।
वीरेंद्र यादव
भाजपा के दूसरे उम्मीदवार को लेकर राजनीतिक गलियारे में संशय का माहौल था। पहले भाजपा ने सिर्फ एक उम्मीदवार अर्जुन सहनी के नाम का ऐलान किया था। इस कारण भी दूसरे उम्मीदवार को लेकर आशंका गहराने लगी थी। राजद ने तीसरा उम्मीदवार देने का संकेत देकर भाजपा की परेशानी बढ़ा दी थी। लेकिन महागठबंधन के ही कुछ विधायकों की ‘अ-निष्ठा’ राजद को अपने कदम खींचने को बाध्य कर दिया।
13 वोटों की गांठ
जदयू के दो विधायक गोपाल मंडल व सरफराज आलम तथा राजद के राजवल्लभ यादव अभी पार्टी से निलंबित हैं। राजवल्लभ की निष्ठा पर लालू यादव को कोई शक नहीं है। जबकि गोपाल मंडल व सरफराज आलम की निष्ठा पर किसी को विश्वास नहीं है। इन दोनों विधायकों की ‘अ-निष्ठा’ के कारण इनको कोई भी पार्टी अपने कोटे में रखने को तैयार नहीं हो रही थी। तकनीकी रूप से ये पार्टी के आदेश को मानने के लिए बाध्य हैं, लेकिन मतदान के दौरान ‘लंगी’ मार दिया तो महागठबंधन को फजीहत उठानी पड़ सकती थी। फिर लालू यादव के पास अपने सिर्फ 18 वोट सरप्लस थे और 13 अतिरिक्त वोटों की जरूरत पड़ती। जो सामान्य परिस्थिति में संभव नहीं था। फिर मतदान को लेकर भी कई परेशानी बढ़ने की आशंका थी। इस कारण राजद ने तीसरा उम्मीदवार नहीं दिया। मतदान टालना सभी पक्षों के लिए फायदामंद साबित हुआ।
पसीने से तरबतर थे विनोद झा
आज नामांकन का अंतिम दिन था और विनोद नारायण झा का कागजात तैयार नहीं था। उन्हें अंतिम क्षण में बताया गया। नामांकन का समय पार्टी की ओर से 11 बजे तय किया गया था। पार्टी के कई नेता विधान सभा सचिव के कक्ष में बैठे थे, लेकिन भाजपा उम्मीदवारों को लेकर कोई स्पष्ट सूचना नहीं मिल रही थी। करीब सवा 12 बजे सुशील मोदी का काफिला विधान सभा पहुंचा, लेकिन उसमें विनोद नारायण झा नहीं थे। ये लोग सचिव कक्ष में जाने के बजाये सीधे नेता प्रतिपक्ष के कक्ष में पहुंचे। वहां काफी देर श्री झा इंतजार करने के बाद ये लोग सचिव के कक्ष में पहुंचे। राज्यसभा के लिए गोपाल नारायण सिंह और परिषद के अर्जुन सहनी ने नामांकन का पर्चा भर लिया। अब सबको विनोद नारायण झा का इंतजार था। वह करीब 12.50 पर विनोद पहुंचे। एकदम थके-हारे। पसीने से लथपथ। सांस लेना भी मुश्किल हो रहा था। थोड़ा आराम करने के बाद उन्होंने 1 बजे नामांकन का पर्चा दाखिल किया।