उच्चतम न्यायालय ने अधिसूचना मामले में केजरीवाल सरकार को करारा झटका देते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय की उस टिप्पणी पर आज रोक लगा दी, जिसमें उसने केंद्र की अधिसूचना को ‘संदिग्ध’ करार दिया था। साथ ही, शीर्ष अदालत ने केजरीवाल सरकार से जवाब तलब भी किया।
न्यायालय ने केंद्र की अधिसूचना को ‘संदिग्ध’ बताने वाली उच्च न्यायालय की टिप्पणी को आधारहीन और अप्रासंगिक करार दिया। न्यायमूर्ति ए के सिकरी और न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित की अवकाशकालीन खंडपीठ ने केंद्र की दलीलें सुनने के बाद आम आदमी पार्टी (आप) सरकार को नोटिस जारी करके जवाबी हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया। न्यायालय ने इसके लिए सरकार को तीन सप्ताह का वक्त दिया है।
न्यायालय ने कहा- ‘भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के अधिकार क्षेत्र को लेकर दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश का पैरा 66 अप्रासंगिक है और उच्च न्यायालय इस पर अलग से निर्णय ले सकता है।’ न्यायालय ने कहा कि केंद्र सरकार की अधिसूचना के संदर्भ में उच्च न्यायालय की टिप्पणी पर भी रोक लगाई जाती है। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि उच्च न्यायालय केंद्र की 23 जुलाई 2014 और 21 मई 2015 की अधिसूचना को चुनौती देने वाली दिल्ली सरकार की ताजा याचिका पर स्वतंत्र रूप से और पूर्व के फैसले में की गईं टिप्पणियों से प्रभावित हुए बिना सुनवाई करेगा।