बिहार विधान सभा के उपचुनाव में जबरदस्त पराजय के बाद पार्टी के अंदर विरोध झेल रहे भाजपा विधानमंडल दल के नेता सीवान से सुशील मोदी को संजीवनी मिल गयी है। विधान परिषद की स्थानीय निकाय कोटे की एक सीवान सीट के लिए हुए उपचुनाव में भाजपा के उम्मीदवार टुन्ना पांडेय को सफलता मिली है। चुनाव परिणाम आने के बाद फेसबुक पर लिखे अपने पोस्ट पर मोदी ने कहा है कि परिषद उपचुनाव में महागठबंधन का भ्रम टूट गया है। जनता ने गठबंधन की ओर से जदयू के उम्मीदवार अजय सिंह को 445 वोटों से पराजित कर जता दिया है कि भाजपा ही अगली सरकार बनाएगी।
उप चुनाव में भाजपा के टुन्ना पांडेय को 1803 मत मिले, जबकि जदयू के अजय सिंह को 1388 वोट मिले। इस प्रकार भाजपा ने जदयू पर 445 वोटों की बढ़त ले ली। उल्लेखनीय है कि स्थानीय निकाय के कोटे के चुनाव में पार्टी से ज्यादा उम्मीदवार के बटुए और बाहुबल का अधिक महत्व होता है। टुन्ना पांडेय शराब व्यवसायी हैं और तिरहूत व सारण प्रमंडल में शराब व्यवसाय पर आधिपत्य माना जाता है। उन्होंने एक वरीय पुलिस अधिकारी पर रंगदारी मांगने का आरोप भी लगाया था। जबकि अजय सिंह सीवान के बाहुबली माने जाते हैं। पहले उन्होंने अपनी मां को विधायक बनवाया था और मां के देहांत के बाद हुए उपचुनाव में अपनी पत्नी का जीतवाया था। उस समय जदयू ने अजय सिंह को छवि के कारण टिकट देने से इंकार कर दिया था। वैसे स्थिति में उन्होंने भादो महीने में कविता कुमारी से शादी की और फिर उन्हें चुनाव लड़वाया।
इस चुनाव सिद्धांत रूप से भाजपा की जीत हुई है। भाजपा नेता सुमो इसको पार्टी की नीतियों और आधार विस्तार की जीत मान रहे हैं। यह स्वाभाविक है। इस संबंध में राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यह चुनाव दो पार्टियों की नहीं, बल्कि धनबल व बाहुबल से परिपूर्ण दो उम्मीदवारों की लड़ाई थी, जिसमें से एक ने जीत दर्ज की। इसे राजनीति में सिद्धांतों के ऊपर धनबल या बाहुबल की जीत भी कहा जा सकता है। कुल मिलाकर, आंतरिक विरोध का संकट झेल रहे सुमो को थोड़ी राहत का अहसास हो सकता है, लेकिन इससे उनकी चुनौतियां कम होने वाली नहीं हैं।
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