पत्रकार राजदेव रंजन की हत्या मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सीवान की अदालत पर सख्त होते हुए आदेश दिया है कि वह बताये कि शहाबुद्दीन व तेजप्रताप के साथ फोटो खिचाने वाले आरोपी के ऊपर वारंट था या नहीं.
सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि सीवान के सेशन जज सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट दाख़िल कर बताए कि शहाबुद्दीन और तेज प्रताप को समारोह में बुके देने वाले फ़ोटो के वक़्त आरोपी मोहम्मद कैफ़ और मोहम्मेद जावेद को क्या भगोड़ा घोषित किया गया था या गैर-ज़मानती वारंट जारी किया गया था या कोई और कार्रवाई की गई थी या नहीं.
ध्यान रहे कि सीवान पुलिस ने मोहम्मद कैफ को एक पारिवारिक झगड़े में गिरफ्तार किया था. कैफ पर पत्रकार राजदेव रंजन मामले में जो चार्जशिट दायर किया गया था उसमें कैफ का नाम नहीं था.
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने पत्रकार राजदेव रंजन मामले में सीबीआई को आदेश दिया है कि वह तीन महीने के अंदर जांच पूरी कर ले. कोर्ट में बिहार सरकार ने शहाबुद्दीन और तेज प्रताप का बचाव करते हुए कहा- जब आरोपी की फोटो दोनों के साथ आई तब आरोपी के खिलाफ कोई गैर-जमानती वारंट नहीं हुआ था. वहीं तेजप्रताप और शहाबुद्दीन ने कहा है कि वह एक पब्लिक समारोह में आरोपियों से मिले थे और यह सब अचानक था. वैसे भी उस वक्त उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी नहीं हुए थे.
सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार के वकील से पूछा कि मामले में किस धारा के तहत चार्जशीट दाखिल हुई तो वे बता नहीं पाए. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की और कहा कि अगली सुनवाई 28 नवंबर को होगी.
बिहार के सिवान में पत्रकार राजदेव हत्या मामले में उनकी पत्नी आशा रंजन द्वारा दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करते हुए ये आदेश दिए. याचिका में केस को दिल्ली ट्रांसफर करने की मांग की गई है. साथ ही आरोपी को शरण देने के मामले में बिहार के स्वास्थ्य मंत्री तेजप्रताप यादव और RJD नेता शहाबुद्दीन पर आरोपी को शरण देने के मामले में FIR दर्ज करने की मांग की गई है. सुप्रीम कोर्ट ने दोनों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था.
बिहार सरकार ने अपने जवाब में कहा है कि इस मामले की सुनवाई बिहार में ही होनी चाहिए. बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को भरोसा दिलाया है कि पीड़ित परिवार की सुरक्षा के सभी इंतजाम किए गए है. इतना ही नहीं बिहार सरकार ने कहा कि सीबीआई इस मामले की जांच कर रही है और वे सीबीआई को जांच में पूरा सहयोग कर रहे हैं.
गौरतलब है कि राज्य सरकार ने पत्रकार राजदेव रंजन हत्या मामले को सीबीआई को सौंप दिया था लेकिन तीन महीने तक सीबीआई ने इस मामले को हाथ नहीं लगाया था. लेकिन जब रंजन की पत्नी ने गृहमंत्री से गुहार लगाई तो इस मामले में सीबीआई सक्रिय हुई.