ए एन सिन्हा इन्स्टीच्यूट में आयोजित ‘स्वामी सहजानंद सरस्वती से संबंधित ऐतिहासिक दस्तावेजों की पुनः वापसी समारोह’ को मुख्य अतिथि के तौर पर सम्बोधित करते हुए उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि स्वामी जी के नाम पर भव्य स्मारक व शोध संस्थान बनाने में सरकार पूरा सहयोग करेगी. बिहार राज्य अभिलेखागार निदेशालय द्वारा पांच खंड में ‘ किसान आंदोलन इन द रिकार्ड ऑफ बिहार स्टेट अर्काइव’ का प्रकाशन किया गया है. आरा में स्वामी जी की भव्य मूर्ति लगने जा रही है.

नौकरशाही डेस्‍क

उन्‍होंने 50 और 60 के दशक में शोधकर्ता वाल्टर हाउजर द्वारा विदेश ले गए स्वामी जी से संबंधित दस्तावेजों की पुनः वापसी पर प्रसन्ता व्यक्त करते हुए सीताराम ट्रस्ट के सचिव डा. सत्यजीत सिंह व रिसर्चर कैलाश चन्द्र झा को धन्यवाद दिया और कहा कि इन दस्तावेजों का बेहतर संरक्षण व प्रदर्शन होना चाहिए. विगत सौ साल में बाबू कुंवर सिंह के बाद जो बड़ा नाम दिखाई पड़ता है वह स्वामी सहजानंद सरस्वती का ही है.

बिहार में जिनकी जमीन है उनमें से अधिकांश खेती नहीं करते हैं. खेती करने वाले गैररैयत किसानों को जमीन के कागजातों के अभाव में बैंक से ऋण व सरकारी योजनाओं का जितना लाभ मिलना चाहिए, वह मिल नहीं पाता है. बिहार सरकार ने अब गैररैयत किसानों से धान खरीदना व उन्हें भी डीजल अनुदान,फसल सहायता योजना का लाभ आदि देना प्रारंभ किया है.

बिहार व देश के लोग स्वामी जी के महत्व को उस समय नहीं समझ पाये, मगर एक विदेशी शोधकर्ता ने जब उसे दर्शाया तो लोगों को समझ में आई. स्वामी जी के विचारों का एक बार फिर अध्ययन व शोध करने की जरूरत है.

 

By Editor


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