नीति आयोग ने पहली बार राज्यों में स्वास्थ्य क्षेत्र की स्थिति पर सूचकांक जारी किया है, जिसमें बड़े राज्यों में केरल, तमिलनाडु और पंजाब शीर्ष पर हैं, जबकि उत्तर प्रदेश में स्थिति की हालत सबसे ज्यादा बदतर है।
आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि स्वास्थ्य सूचकांक में निचले पायदान पर स्थित राज्यों और शीर्ष के राज्यों के बीच काफी अंतर है, जो चिंताजनक है। साथ ही यह भी कहा गया है कि जो राज्य शीर्ष पर हैं उनके पास भी अपना प्रदर्शन में और सुधार का मौका है। राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों का आँकलन तीन श्रेणियों में किया गया है। बड़े राज्यों, छोटे राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की श्रेणियाँ बनाई गयी हैं।
बड़े राज्यों में 76.55 अंक के साथ केरल पहले और 33.69 अंक के साथ उत्तर प्रदेश अंतिम स्थान पर है। छोटे राज्यों में मिजोरम 73.70 अंक के साथ पहले और नगालैंड 37.38 अंक के साथ आखिरी स्थान पर तथा केंद्रशासित प्रदेशों में 65.79 अंक के साथ लक्षद्वीप शीर्ष पर और दादर एवं नागर हवेली 34.64 अंक के साथ सबसे नीचे है।
सूचकांक तय करने के लिए राज्यों का आँकलन बाल मृत्यु दर, पाँच साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर, टीकाकरण की व्यापकता, घर की बजाय अस्पतालों में बच्चों का जन्म तथा एचआईवी के रोगियों की संख्या आदि को आधार बनाया गया है। छोटे राज्यों में रैंकिंग के मामले में मणिपुर दूसरे और मेघालय तीसरे स्थान पर हैं। वहीं सुधार के मामले में मणिपुर पहले, गोवा दूसरे और मेघालय तीसरे स्थान पर है। केंद्र शासित प्रदेशों में लक्षद्वीप के बाद चंडीगढ़ दूसरे और दिल्ली तीसरे स्थान पर है। सुधार के मामले में भी लक्षद्वीप पहले, अंडमान निकोबार दूसरे और दादर एवं नागर हवेली तीसरे स्थान पर हैं।