पटना के जनशक्ति भवन में चर्चित सामाजिक कार्यकर्ता व शिक्षाविद अक्षय कुमार की दो पुस्तक ” जन आंदोलन का दखल दिहानी “और “जन आंदोलन कहां से , कैसे शुरू हो ” का बुधवार को लोकार्पण हुआ।
पुस्तक का लोकार्पण सी पी आई के राज्य सचिव सत्यनरायन सिंह, सी पी एम के केंद्रीय कमिटी सदस्य अरुण मिश्रा, केदार दास श्रम अध्यन एवमं शोध संस्थान के निदेशक नवीन चन्द्रा, सीपीआई एम एल के नन्दकिशोर जी, सी पी एम राज्य सचिव मंडल सदस्य सर्वोदय शर्मा , सी.सी.आई के पार्थ सरकार और जानकी पासवान के द्वारा किया गया। ‘अभियान सांस्कृतिक मंच’ के द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए सी पी आई के राज्य सचिव कॉ सत्यनरायण जी ने कहा कि ” हमलोग कई मसलों एक साथ आंदोलन कर सकते है। साथ ही यह पुस्तक हमें आंदोलन करने के तरीकों को बताती है।इन्होंने इस पुस्तक में दलित और वंचित वर्गों के द्वारा चलाए जा रहे आंदोलन को और मजबूत कैसे प्रदान करे इसपर गंभीर चर्चा है ।
समाजिक न्याय पर विस्तार से चर्चा है।” पुस्तक के लेखक अक्षय कुमार ने कहा कि ” आज की सरकारें जनविरोधी है। सरकारे अब जनता को आपस में लड़ाने का प्रयास कर रही है। जनता को जाती, धर्म ,भाषा और क्षेत्र के आधार पर लड़ाया जा रहा है। अतः आज प्रगतिशील लोगों को एकजुट होकर एक साथ आंदोलन करना चाहिए।” केदार दास संस्थान के निदेशक नवीन चन्द्रा ने अध्यक्षीय वक्तव्य देते हुए ” कहा कि आज मजदूरों के पास रोजगार नहीं है। मजदूरों की स्थिति दिन प्रति दिन खराब हो रही है। अतः आज यह आवश्यक है कि मज़दूरो को एकजुट कर पूंजीवाद से लड़ा जाए।” लोकार्पण समारोह को सम्बोधित करते हुए सी पी एम के केंद्रीय कमिटी के सदस्य अरुण मिश्रा अरुण मिश्रा ” अक्षय जी की कविता एक एक्टीविस्ट की किताब है।
इससे हमें सीखने की जरूरत है। शिक्षा के व्यासाई के खिलाफ लड़ाई भी आज नवउदारवाद के विरुद्ध लड़ाई में तब्दील हो जाएगी। आज सताया पूंजी के खिलाफ में बदल जाए रही है। दूसरों के साथ जोड़ने की कोशिश करनी होगी और ये काम उनको स्पेस देते हुए करना होगा। ये जनवादी, प्रगतिशील मूल्यों के लिए करना होगा। । हम जो आंदोलन खड़ा करना चाहते हैं उनको इन बातों का ख्याल करना होगा। कभी कभी दूसरों की बात समझते ही नहीं है लगता है हैम ही सही हैं। इससे एकता के काम में बिखराव आ जाता है। तभी हम वैचारिक रूप आए एक दूसरे के नज़दीक आ सकते हैं।” सी पी एम के राज्य सचिव मंडल सदस्य सर्वोदय शर्मा ने कहा ” यह दौर भिन्न दौर है। यू एस एस आर के विघटन के कारण पूरी दुनिया में पूंजीवाद का राज हो गया। पूंजीवाद ने लोगों का शोषण करना शुरू कर दिया। उसके बाद देश मे जन आंदोलन शुरू हुए। महाराष्ट्र और राजस्थान के किसानों ने आंदोलन करके अपने जीत हासिल की है। ” सी पी आई एम एल के नन्दकिशोर जी ने कहा कि ” जनांदोलन आज के वक्त की जरूरत है। यह किताब शिक्षा, स्वास्थ और रोजगार के सवाल को जनांदोलन का मुद्दा बनाना होगा।
आज किसानों और मजदूरों पर हमले हो रहे। देश में फासीवाद को लाया जा रहा है।” सी.सी आई के नेता पार्थ सरकार ने लोकार्पण समारोह को संबोधित करते हुए कहा ” नवउदारवाद के जो हर क्षेत्र में मार है उससे सतर्क रहना होगा। आज के सीन में डाटा से हमारी हर गतिविधि पता चल जाता है। गुजरात मे मज़दूर आंदोलन के नेताओ का डाटा उद्याग के द्वारा द्व दिया गया। जिससे नौकरी कहीं न मिलेगी। अभी फिक्स्ड टर्म रोजगार के कारण मज़दूर एक्शन में आ रहे हैं। ” अनिल कुमार राय ने कहा कि ” आज देश में लोकतंत्र खतरे में है। जनांदोलनों को सरकारे जबरिया तरीकों से दबा रही है। जनता पर सरकारें गोली चलवा रही है । यह किताब जन आंदोलन को मजबूत बनाने का काम कर रही है।” शिक्षाविद अनिल कुमार राय ने अपने संबोधन में कहा ” हम जिन तरीकों व भाषा मे सोचने की आदत रहे हैं। इसमें फिट न हो पाने के कारण लगता है कि भाषा दुरूह हो गई है। अक्षय कुमार की किताब में जो अन्तरबस्तु है उसे देखने की जरूरत है।
लोकार्पण समारोह को अभियान सांस्कृतिक मंच के द्वारा इस पुस्तक लोकार्पण में ए आई एस एफ के राष्ट्रीय महासचिव विश्वजीत , जानकी पासवान, हर्षवर्धन प्रसाद सिंह, रमाकांत अकेला आदि ने भी संबोधित किया। लोकार्पण समारोह में बड़ी संख्या में बुद्धिजीवी, सामाजिक कार्यकर्ता, रंगकर्मी, विभिन्न सामाजिक व राजनीतिक संगठनों के कार्यकर्ता मौजूद थे। प्रमुख लोगों में राकेश राज, रविंद्र नाथ राय, अशोक सिन्हा, सतीश, जितेंद्र कुमार, अजय कुमार, शालिग्राम शर्मा, मदन प्रसाद सिंह, सहित कई लोग मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन और धन्यवाद ज्ञापन जयप्रकाश ने किया।