बिहार विधान सभा का बजट सत्र में सत्ता और विपक्ष दोनों खेमा पूरी मजबूती के साथ विरोधी को पस्त करने की तैयारी में है। सत्ता पक्ष पूरी तैयारी के साथ आ रहा है तो विपक्ष भी खुद को उन्नीस नहीं पड़ने दे रहा है। लेकिन इस सत्र में राजद की रणनीति मुख्यमंत्री नीतीश के बदले भाजपा के वरिष्ठ नेता व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी को टारगेट करने का है। इसका दो मकसद है। पहला यह साबित करना है कि सरकार के मुखिया भले नीतीश कुमार हैं, लेकिन ‘छोटका इंजन’ सुशील मोदी ही ‘सत्ता की गाड़ी’ को हांक रहे हैं। इस रणनीति के तहत राजद भाजपा की तुलना में जदयू को कमतर दिखाना चाहता है। दूसरा मकसद यह साबित करना है कि विधान सभा लेकर सड़क तक राजद की लड़ाई भाजपा से है, जदयू से नहीं।
वीरेंद्र यादव, विधान सभा से
मुजफ्फरपुर में कथित भाजपा नेता की गाड़ी से कुचलकर 9 स्कूलों बच्चों की मौत की सीबीआई जांच और सुशील मोदी की बर्खास्तगी की मांग को लेकर राजद दोनों सदनों में हंगामा करता रहा। विधान परिषद में राबड़ी देवी ने हंगामे के दौरान कहा कि सरकार गरीबों की जुबान काटना चाहती है। इस सरकार में अब तक 36 घोटाले हो चुके हैं। एक बार ऐसा भी हुआ कि कार्यवाही शुरू होने के वक्त मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सदन में आये, लेकिन राजद के हंगामे के कारण तुरंत उठकर चले गये।
विधान सभा में वित्त मंत्री सुशील कुमार मोदी ने वित्तीय वर्ष 2018-19 का बजट पेश किया। इसके बाद उन्होंने पत्रकार वार्ता में बजट के प्रावधान और अन्य आयामों पर प्रकाश डाला। उधर राजद के वरिष्ठ नेता अब्दुलबारी सिद्दिकी पत्रकार वार्ता में वित्त मंत्री के दावों को नकारते रहे। दोनों सदनों की सत्ता व विपक्ष की लॉबी में सदस्य और उनके सहयोगियों का जमावड़ा भी दिखा। सचेतक कोरम मैनेजमेंट में व्यस्त दिखे। विधान सभा की लॉबी में तेजप्रताप यादव, शमीम अहमद, अवधेश सिंह व अन्य विधायक भी दिखे। बजट पेश होने के कारण आज पत्रकारों पर भार बढ़ गया था। खबरों के साथ उन्हें बजट की भारी-भरकम दस्तावेज भी थमा दिया गया था।
परिसर से बाहर निकलते समय ओबरा के पूर्व विधायक राजाराम सिंह से मुलाकात हो गयी। उन्होंने भी अपनी राजनीतिक गतिविधियों की चर्चा करते हुए कहा कि किसान महासभा के राष्ट्रीय संयोजक बन गये हैं। हालांकि उनकी राजनीति शुरू से ही किसान आंदोलन से जुडी रही है।