पत्रिका के १८वे वर्ष के प्रथमांक का हुआ लोकार्पण
पटना, १८ जून । साहित्यिक त्रैमासिक ‘नया भाषा भारती संवाद‘ हिंदी की उन्नति में अत्यंत मूल्यवान योगदान दे रही है। इसमें देश भर के साहित्यिक–समाचार ही नहीं, रचनात्मक-साहित्य, शोध और समीक्षा को भी समुचित स्थान प्राप्त हो रहे हैं।
यह विचार आज यहाँ, भारतीय भाषा–साहित्य समागम के ततत्वावधान में, पत्रिका के १८वें वर्ष के प्रथमांक के लोकार्पण के अवसर पर, बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन में आयोजित समारोह का उद्घाटन करते हुए, सम्मेलन के अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने वयक्त किए । ड़ा सुलभ ने कहा कि पत्रिका के प्रकाशन में, इसके प्रकाशक और प्रधान सम्पादक नृपेंद्र नाथ गुप्त का योगदान दधीचि के समान है।
वरिष्ठ कवि और सम्मेलन के उपाध्यक्ष मृत्युंजय मिश्र‘करुणेश‘ ने कहा कि इस पत्रिका ने दक्षिण भारत के साहित्यकारों को भी अपनी ओर आकृष्ट किया है, यह एक उल्लेखनीय और परितोषप्रद बात है। ड़ा शंकर प्रसाद ने कहा कि, इस पत्रिका ने अपने सामर्थ्य से बहुत आगे जाकर हिंदी और साहित्य की सेवा की है। यह नवोदित और हासिए पर पड़े लेखकों के लिए बड़ा अवलंब सिद्ध हुआ।
अपने अध्यक्षीय उद्गार में, पत्रिका के प्रधान–सम्पादक नृपेंद्र नाथ गुप्त ने कहा कि इस पत्रिका के दीर्घ–जीवी और नियमित रहने का बड़ा कारण सम्पूर्ण भारतवर्ष के विद्वान साहित्यकारों क़ा सहयोग और आशीर्वाद है। पूरे देश में इसकी पहुँच के पीछे भी विद्वानों का आशीर्वाद है।
इसके पूर्व अतिथियों का स्वागत करते हुए, सम्मेलन के साहित्यमंत्री डा शिववंश पांडेय ने कहा कि, साहित्यिक–पत्रिकाओं के प्रकाशन की दृष्टि से बिहार की भूमि अत्यंत उर्वरा रही है। किंतु ‘नयी धारा‘और ‘ज्योत्सना‘ जैसी अंगुली–गण्य पत्रिकाओं को छोड़कर koii भी दीर्घाजीवी नहीं हो पायी। नया भाषा भारती संवाद ने १८ वर्षों से अनवरत प्रकाशित होकर अपने गुणवत्ता का मुखर साक्ष्य स्वयं प्रस्तुत कर दिया है।
सम्मेलन के उपाध्यक्ष पं शिवदत्त मिश्र, डा मधु वर्मा, डा वासकी नाथ झा, डा मेहता नागेन्द्र सिंह, डा कुमार मंगलम, डा कृष्ण कांत शर्मा, डा अर्चना त्रिपाठी, कुमार अनुपम, डा उपेन्द्र राय, हरिशंकर प्रसाद, बच्चा ठाकुर, अमियानाथ चटर्जी, श्रकांत सत्यदर्शी, जय प्रकाश पुजारी, कवि आर प्रवेश, ड़ा बी एन विश्वाकर्मा, राज कुमार प्रेमी, डा विनय कुमार विष्णुपुरी, डा नागेश्वर प्रसाद यादव, नीरव समदर्शी, विभा अजातशत्रु, रामाकान्त पांडेय, मोहन दूबे, विश्वमोहन चौधरी संत, चंद्र दीप प्रसाद, तथा कृष्ण रंजन सिंह ने भी अपने विचार व्यक्त किए । मंच का संचालन योगेन्द्र प्रसाद मिश्र ने तथा धन्यवाद–ज्ञापन पत्रिका के प्रबंध–सम्पादक प्रो सूखित वर्मा ने किया।