सिविल सेवा की प्रारंभिक परीक्षा से सी-सैट को हटाने की मांग पर चल रहे आंदोलन को पुलिस ने कुचलने के लिए बर्बता की हदें पार कर दी हैं. लाठी-डंडा, मारपीट के अलावा उसने धरनास्थल पर कब्जा भी कर लिया है.
मुकेश कुमार की रिपोर्ट
सिविल सेवा की प्रारंभिक परीक्षा से सी-सैट को हटाने की मांग को लेकर दिल्ली के मुखर्जीनगर में जारी शांतिपूर्ण आंदोलन को पुलिस की बर्बरता का सामना करना पड़ रहा है.बीते बुधवार की रात को दिल्ली पुलिस ने छात्रो को जमकर पीटा.
पढ़िये आंदोलनाकरियों से देशद्रोहियों सा सुलूक
पुलिस ने अनशन मंच को तोड़ डाला है और इस स्थल को अपने कब्जे में कर लिया है और भारी संख्या में पुलिसकर्मी तैनात कर दिया है.इस स्थल पर जबरदस्त घेराबंदी की गई है ताकि आंदोलनकारी अनशन स्थल न पहुंच सकें.पुलिस ने इसके बाद मुखर्जीनगर,नेहरू विहार,गांधी विहार,परमानन्द कोलोनी और वजीराबाद में सघन तलाशी अभियान चलाया.
बुधवार रात को पुलिस की दरिंदगी के कारण ज्यादातर छात्र मुखर्जी नगर क्षेत्र में एकत्र नहीं हो पा रहें हैं.इस क्षेत्रों में छात्रों को तीन-चार लोगों के समूह में भी चलने से रोका जा रहा है.छात्रों से गुलजार रहने वाले इन क्षेत्रों में अब सन्नाटा पसरा हुआ है.पुलिस छात्रों को पार्क में एकत्र होने पर भी मना कर रही है. काफी संख्या में पुलिसबल की तैनाती कर दी गई है.इन क्षेत्रों में तनाव को देखते हुए गुरूवार को स्थानीय बाजार और दुकानें भी बंद रही. मुखर्जीनगर,गांधी विहार,नेहरू विहार और परमानन्दं कोलोनी में रहने वाले छात्र एकजूट न हों इसके लिए दिल्ली पुलिस ने पूरी कोशिश की.
एक आंदोलनकारी छात्रा ने बताया की दिल्ली पुलिस ने लड़कियों को भी नहीं छोड़ा.कई लड़कियों ने बदसलूकी की शिकायत भी की.छात्रों को उनके कमरों से निकालकर पीटा गया.
छात्रों का कहना था कि क्या शांतिपूर्ण अनशन करने का अधिकार भी इस देश में नहीं है?
श्याम रूद्र पाठक उर्फ़ “बाबा” जिनको दिल्ली पुलिस कल रात गिरफ्तार कर ले गई थी गुरूवार को रोहिणी कोर्ट के महानगरीय दंडाधिकारी सचिन गुप्ता ने शाम 7 .30 बजे वकीलों की लम्बी बहस के बाद जमानत पर रिहा कर दिया. कल पुलिस ने श्याम रूद्र पाठक और अन्य 27 छात्रों को मुखर्जी नगर और तीमारपुर थाना क्षेत्र के अंतर्गत हिरासत में लिया था.शाम को श्याम रूद्र पाठक और 9 छात्रों को रोहिणी कोर्ट में पेश किया गया.आज पुलिस ने जो आरोप इन पर कोर्ट में लगाये उनके लिए कोई सबूत पेश नहीं कर पाई.
केजरीवाल व मनोज तिवारी भी आंदोलन के समर्थन में
अधिवक्ता हरीश मेहरा के नेतृत्व में एक दर्ज़न वकीलों ने बहस की,सबूतों के अभावों और चरित्रों को ध्यान में रखकर माननीय कोर्ट ने इन सभी को जमानत पर रिहा करने का निर्णय सुनाया.वहीँ दूसरी और तीमारपुर थाने के महानगरीय दंडाधिकारी ने वहां पेश किये गए 18 भाषा आन्दोलनकारियों को भी उपरोक्त आधार पर ही जमानत पर रिहा कर दिया है.वहां अधिवक्ता धर्मेन्द्र मिश्रा के साथ में लगभग आधा दर्ज़न वकीलों ने लम्बी बहस की और सभी को फिर कोर्ट ने जमानत पर रिहा कर दिया है.
कल अरबिंद केजरीवाल ने भी इस आंदोलन को अपना समर्थन देने की घोषणा की है.संसद में भी धर्मेंद यादब ने अनशनकारियों पर पुलिस लाठीचार्ज के मुद्दे को उठाया.सरकार ने जो पवन वर्मा समिति गठित की थी उसने कल सरकार को रिपोर्ट सौंप दी है,शायद सदन में आज पटल पर रखी जाएगी.
सवाल यह है की एक तरफ सरकार समिति बनाती है और दूसरी तरफ दमन करने का फैसला क्यों लेती है? यह देखना दिलचस्प होगा की सरकार क्या करती है.