संविदा कर्मियों की सेवा नियमित करने के लिए उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट तैयार है। समिति ने अपनी रिपोर्ट में संविदा कर्मियों की सेवा स्थायी करने संबंधी कई सिफारिशें की हैं। मगर समिति के सदस्यों की अब तक रिपोर्ट पर दस्तखत नहीं हो पाया है। इसके चलते गठन के 16 महीने बाद भी रिपोर्ट प्रकाशित नहीं हो सका है। इतना ही नहीं रिपोर्ट के ठंडे बस्ते में होने के कारण सरकार के विभिन्न महकमे में संविदा पर काम करने वाले लगभग पांच लाख से अधिक कर्मियों की सेवा जस की तस बनी हुई है।
इस समिति का गठन राज्य के पूर्व मुख्य सचिव और बिहार लोकसेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष अशोक कुमार चौधरी की अध्यक्षता में किया गया था। इस उच्च स्तरीय समिति को तीन माह में रिपोर्ट देने का निर्देश था। समय पर रिपोर्ट नहीं बन पाने से समिति के कार्यकाल लगातार बढ़ता जा रहा है। पूर्व मुख्य सचिव अशोक कुमार चौधरी की अध्यक्षता में गठित समिति में सामान्य प्रशासन विभाग के प्रधान सचिव को सदस्य सचिव, पथ निर्माण, वित्त, शिक्षा, स्वास्थ्य, जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव को सदस्य बनाया गया था।
सूत्रों ने बताया कि समिति के निर्णय आने में देरी से राज्य सरकार के सचिवालय में डाटा इंट्री ऑपरेटर से लेकर पंचायतों के वार्ड में काम करने वाले आशा कार्यकर्ताओं को सरकार के निर्णय का इंतजार है। समिति के अध्यक्ष ने राज्य सरकार के सभी विभागों से विमर्श के बाद रिपोर्ट तैयार कर ली है। लेकिन, खुद समिति के सदस्यों से सहमति नहीं मिलने के कारण रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपा नहीं जा रहा है। वहीं, मुख्यमंत्री सचिवालय ने उच्च स्तरीय समिति को रिपोर्ट सौंपने के लिए कई बार निर्देश भी दिया है।