22 दिनों से हड़ताल पर डटी हैं आशा, 3 अगस्त को महाजुटान
22 दिनों से हड़ताल पर डटी हैं आशा, 3 अगस्त को महाजुटान। ठप हैं ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्र। नौ साल से सरकार ने एक रुपया नहीं बढ़ाया। 10 हजार मानदेय की मांग।
आशा संयुक्त संघर्ष मंच के आह्वान पर 9सूत्री मांगों को लेकर 21 दिनों से अनिश्चितकालीन हड़ताल चल रही है।ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाएं ठप्प है लेकिन सरकार और स्वास्थ्य विभाग संवेदनहीन बनी हुई है।आशाओं के कार्यों को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सराहा है और पटना उच्च न्यायालय ने CWJC _ में तारीफ की है। लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने दो राउंड की वार्ता में मासिक मानदेय और न्यूनतम रिटायरमेंट बेनिफिट देने से मना कर दिया है जबकि कई राज्यों में सम्मानजनक मासिक मानदेय के साथ 1लाख का रिटायरमेंट पैकेज और पेंशन मिलता है।महागठबंधन के घोषणापत्र में यह शामिल था और उपमुख्यमंत्री सह स्वास्थ्य मंत्री ने पारितोषिक की जगह मासिक मानदेय करने और सम्मानजनक राशि देने की घोषणा की थी।
आशा फैसिलिटेटर की मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक मानने और हड़ताल को समाप्त कराने की जगह स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन दमन अभियान चला रहे हैं।आशाओं को किस राज्य में क्या क्या सुविधाएं मिलती हैं,इसे हमने भारत सरकार के स्वास्थ्य विभाग से विधिवत प्राप्त करके हड़ताल पूर्व अपनी मांगों के साथ सरकार को दे रखा है। भूखे पेट अब और काम नहीं होगा पारितोषिक नहीं 10हजार रुपए मासिक मानदेय देना होगा,रिटायरमेंट के बाद हम खाली हाथ घर नहीं लौटेंगे नारों के साथ दसियो हजार आशाएंआशा फैसिलिटेटर 3अगस्त को पटना पहुंच रही हैं। गर्दनीबाग के महाजुटान से हजारों महिलाएं अपनी मांगों को लेकर बिहार की जनता और सरकार से फरियाद करेंगी।
आंदोलन की नेत्री,महासंघ गोप गुट/aicctu से संबध बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ की अध्यक्ष शशि यादव ने तमाम तरह के दमन को झेलते हुए आशाएं शांतिपूर्ण तरीके से हड़ताल पर हैं।परिवार के साथ कई दिनों तक सत्याग्रह पर रही हैं।भीषण गर्मी और उमस में दर्जनों आशाएं बीमार पड़ी हैं।लेकिन सरकार का रुख दमनात्मक है।उन्होंने कहा कि मांगें पूरी होने तक हड़ताल जारी रहेगी।18महीने के पिछला बकाया में एक महीना की राशि 10 करोड़ देने की बात कहकर वे हड़ताल की मुख्य मांगें को दरकिनार करना चाहते हैं।आशाएं सजग हैं,गुमराह करने का खेल नहीं चलेगा।
हड़ताल के नेता सह चिकित्सा जन स्वास्थ्य कर्मचारी संघ/सीटू के राज्य नेता विश्वनाथ सिंह ने कहा कि आशाओं की मेहनत से ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं में गुणात्मक सुधार हुआ है लेकिन बिहार सरकार अन्य राज्यों में मिल रही सुविधाओं को देने से भाग रही है।हमारी मांग है कि केरल,कर्नाटक,आंध्र, एमपी,ओडिशा,राजस्थान आदि किसी राज्य को चुन लीजिए वो।सुविधा दीजिए,हम मान जायेंगे। महासंघ गोप गुट के सम्मानित अध्यक्ष रामबली प्रसाद ने कहा कि सरकार का महिला श्रम और आशाओं के कठिन कठोर कामों के प्रति नजरिया असंवेदनशील है।
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