सामाजिक कर्यकर्ताओं के गिरफ्तारी पर मोदी सरकार भारी दबाव में आ गयी है. देश भर के 48 Retired IAS अफसरों ने खुला खत लिख कर पीम मोदी की घोर आलोचना की है.
दर असल पुणे पुलिस ने देश भर के पांच विख्यात सामाजिक कार्यकर्ताओं की अलग-अलग पर एक ही दिन गिरफ्तार की थी. इन पर माओवादियों को सपोर्ट करने और भीमाकोरे गांव के नाम पर हिंसा फैलाने का आरोप लगाया था. 48 Retired IAS अफसरों के दस्तखत से जारी पत्र में इन गिरफ्तारियों को देश में अब तक का सबसे बड़ा गैरलौकतांत्रिक कदम बताया गया है. पत्र में कहा गया है कि लोकतंत्र मेंं विरोध की आवाज को दबाने का यह अब तक का सबसे बड़ा गैरलोकतांत्रिक कदम है.
गौरतलब है कि 28 अगस्त को महाराष्ट्र की बीजेपी की सरकार के अधीन काम करने वाली पुणे पुलिस ने देश भर के पांच सामाजिक कार्यकर्ताओं जिनमें सुधा भारद्वाज, को फरीदाबाद से, तेलुगू कवि वरवरा राव को हैदराबद से एक्टिविस्ट वेरनन गोनसाल्विस और अरुण फेरारिया को मुम्बई से जबकि गौतम नवलखा को नयी दिल्ली से अरेस्ट कर लिया गया था.
इन गिरफ्तारियों की राष्ट्रव्यापी निंदा हुई. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने इस मामले में महाराष्ट्र पुलिस को नोटिस जारी किया. वहीं केंद्र सरकार इन गिरफ्तारियों का बचाव किया है और कहा है कि इन कार्यकर्ताओं का नक्सली संगठनों से संबंध के उसके पास सुबूत हैं.
48 Retired IAS अफसरों ने अपने पत्र में इन गिरफ्तारियों पर भारी विरोध जताते हुए कहा है कि यह एक तानाशाही कदम है. सरकार ने उन सामाजिक कार्यकर्ताओं को अपने हथकंडे में फंसाया है जो सरकार के आलोच रहे हैं. Retired IAS अफसरों ने कहा है कि ये गिरफ्तारियां इस बात का प्रमाण है ंकि सरकार विरोध की आवाजों को बर्दाश्त नहीं कर सकती.
48 Retired IAS अफसर पहले भी कर चुके हैं विरोध
पिछले एक साल से Retired IAS अफसरों का यह दल गंभीर मामलों पर खुल कर अपनी राय रखता रहा है. इससे पहले अप्रैल में कश्मीर की एक बच्ची के साथ बलात्कार के मामले पर भी इन अफसरों ने खुल कर केंद्र सरकार की आलोचना की थी.
इस बीच सुप्रीम कोर्ट के जज ने एक सुनवाई के दौरान इस संबंध में कहा कि लोकतंत्र में विरोध की आवाज सेफ्टी वाल्व की तरह है अगर आप सेफ्टी वाल्व को दबायेंगे तो प्रेसरकूक ब्रस्ट कर जायेगा.