5 को स्थापना दिवस पर Tejashwi करेंगे बड़ा एलान
इस बार राजद का स्थापना दिवस अलग ढंग से होगा। पूरा कार्यक्रम वर्चुअल होगा। कार्यक्रम से जुड़ने के लिए लिंक जारी होगा। इसी दिन Tejashwi बड़ा एलान करेंगे।
आज विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने पार्टी के सभी विधायकों के साथ वर्चुअल मीटिंग की। मीटिंग में पांच जुलाई को राजद के स्थापना दिवस सफल बनाने पर चर्चा हुई।
राजद प्रवक्ता चितरंजन गगन ने बताया कि स्थापना दिवस के संदेश को गांव-गांव तक फैलाने के लिए योजना बनाई जा रही है। पार्टी दफ्तरों के अलावा मुख्य जगहों पर पार्टी का झंडा-बैनर लगाया जाएगा।
पार्टी प्रवक्ता अनवर हुसैन ने बताया कि इस दिन महंगाई, बेरोजगारी, सांप्रदायिकता के खिलाफ संघर्ष तेज करने का संकल्प लिया जाएगा। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस दिन विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव जदयू-भाजपा की नीतीश सरकार के खिलाफ बड़े अभियान की घोषणा करेंगे। अभियान विकेंद्रित होगा, क्योंकि कोरोना नियमों के अनुसार एक स्थल पर बड़ा कार्यक्रम नहीं हो सकता। राजद गांव-गांव तक अपने मुदों को ले जाने और लोगों को संगठित करने के लिए कार्यक्रम लेगा। इसे अंतिम रूप दिया जा रहा है। कल तेजस्वी यादव राजद के जिलाध्यक्षों के साथ वर्चुअल संवाद करेंगे।
भाजपा का प्रस्ताव जुमलेबाजी का दस्तावेज
इस बीच राजद प्रवक्ता चितरंजन गगन ने कहा कि भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी द्वारा पारित राजनीतिक प्रस्ताव को जुमलेबाजी का दस्तावेज बताते हुए प्रस्ताव में बेरोजगारी के संबंध में दिये गये आंकड़ों को झूठ का पुलिंदा करार दिया है। उन्होंने कहा कि प्रस्ताव में आरएसएस के विभाजनकारी और सामाजिक न्याय बिरोधी सिद्धांतों को प्रमुखता दी गई है।
राजद प्रवक्ता ने कहा कि प्रस्ताव में एनडीए सरकार के कार्यकाल में छः लाख नौजवानों को नौकरी देने का दावा किया गया है। इससे बड़ा झूठ कुछ हो ही नहीं सकता है। सबसे अधिक नियोजन वाले शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग में अभी 60 प्रतिशत से 70 प्रतिशत पद रिक्त हैं। जिस सवा लाख शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया का जिक्र किया गया है वह सरकार का पंचवर्षीय योजना बन कर रह गई है। यही हाल स्वास्थ्य सहित अन्य विभागों की है। बिहार से पलायन करने वालों की संख्या दो सौ प्रतिशत से ढाई सौ प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
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राजद प्रवक्ता ने कहा कि प्रस्ताव में नकारात्मक भावनाओं के अलावा न कोई दृष्टि है न भविष्य की कोई योजना। कोरोना जैसे महामारी में सरकारी विफलता, वैक्सीनेशन की शिथिलता, बढती महंगाई, बदतर कानून व्यवस्था, बाढ की त्रासदी, आर्थिक पिछड़ापन जैसे मूल समस्याओं की कोई सार्थक चर्चा राजनीतिक प्रस्ताव में नहीं है।
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