राजद अतिपिछड़ा प्रकोष्ठ के सभी जिलाध्यक्षों तथा पदाधिकारियों की बैठक में 65 प्रतिशत आरक्षण का मुद्दा छाया रहा। नेताओं ने एक स्वर में बिहार में बढ़ाए गए आरक्षण को संविधान की 9 वीं अनुसूची में शामिल करने की मांग की। कहा कि आगामा विधानसभा चुनाव में यह सबसे बड़ा मुद्दा बनेगा।
राजद कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार अतिपिछड़ा प्रकोष्ठ के प्रदेश पदाधिकारियों, जिलाध्यक्षों, जिला प्रधान महासचिवों एवं विशेष आमंत्रित सदस्यों की संयुक्त बैठक हुई। प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष अरविन्द कुमार सहनी की अध्यक्षता में बैठक हुई।
प्रदेश अध्यक्ष जगदानन्द सिंह ने कहा कि अतिपिछड़ा समाज को राजद ने हमेशा मान-सम्मान दिया है। लालू प्रसाद ने अतिपिछड़ा समाज से दर्जनों विधान पार्षद, राज्यसभा सदस्य और लोकसभा एवं विधानसभा सदस्य बनाने के साथ-साथ मंत्रीमंडल में भी स्थान दिया।
17 महीने के महागठबंधन सरकार के कार्यकाल में तेजस्वी प्रसाद यादव ने जातीय गणना कराकर जिसकी जितनी संख्या उसकी उतनी हिस्सेदारी तय करते हुए आरक्षण व्यवस्था को बढ़ाकर 65 प्रतिशत किया और इस आरक्षण व्यवस्था को नौवीं अनुसूची में शामिल करवाने के लिए केन्द्र सरकार के पास बिहार से प्रस्ताव भेजा गया लेकिन डबल इंजन सरकार पिछले दरवाजे से बढ़े हुए आरक्षण व्यवस्था को किस तरह से रोकने का काम किया यह स्पष्ट रूप से दिख रहा है। इन्होंने अतिपिछड़ा समाज से पूरी मजबूती के साथ लालू प्रसाद और तेजस्वी प्रसाद यादव के विचारों और कार्यों को जन-जन तक पहुंचाने का आह्वान किया।
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष उदय नारायण चैधरी ने कहा कि सामाजिक न्याय की धारा को मजबूती प्रदान करने के लिए अतिपिछड़ा समाज को सजग होकर काम करना होगा। आरक्षण व्यवस्था को बढ़ाकर 65 प्रतिशत किया गया जो एक ऐतिहासिक कदम था।
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अब्दुलबारी सिद्दिकी ने कहा कि अतिपिछड़ा समाज के बीच कर्पूरी ठाकुर जी ने जो अलख जगाया था उसे लालू प्रसाद ने मजबूती के साथ आगे बढ़ाया। अध्यक्षीय संबोधन में अरविन्द कुमार सहनी ने कहा कि लालू जी के विचारों को आगे बढ़ाते हुए तेजस्वी जी ने अतिपिछड़ा समाज के लिए आरक्षण व्यवस्था को 18 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत किया। इसके लिए अतिपिछड़ा समाज उनका आभार प्रकट करता है।