बिहार की NDA सरकार 75 हजार पिछड़े-दलित युवकों की नौकरी खा गई है। तेजस्वी सरकार में पिछड़ों-दलितों का आरक्षण 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 प्रतिशत किया गया था। एनडीए सरकार में 65 प्रतिशत आरक्षण रद्द हो गया है। अगले एक साल में राज्य में लगभग पांच लाख नियुक्तियां होंगी। जाहिर है पिछड़ों-दलितों को 65 प्रतिशत के बजाय 50 प्रतिशत ही आरक्षण मिलेगा। 15 प्रतिशत कम आरक्षण मिलेगा। इस प्रकार अगले एक साल में 75 हजार पिछड़े-दलित युवकों को नौकरी मिल सकती थी, जो अब नहीं मिलेगी।
राज्य की एनडीए सरकार ने 2025 बिहार विधान सभा चुनाव से पहले 4,70, 976 पदों पर नियुक्ति करने का निर्णय लिया है। ये नियुक्तियां राज्य सरकार के 45 विभागों में होंगी। राज्य सरकार ने सभी विभागों में खाली पदों की सूची मांगी थी। इसके बाद सामान्य प्रशासन विभाग ने खाली पदों की सूची राज्य सरकार को सौंप दी है। दो लाख पद केवल शिक्षा विभाग में खाली हैं। 60 हजार से ज्यादा पद स्वास्थ्य विभाग में खाली हैं, जिन्हें भरा जाना है। इसी के साथ ग्रामीण विकास, ऊर्जा, गृह, समाज कल्याण समेत विभिन्न विभागों में खाली पदों पर नियुक्तियां की जाएंगी। अगले दो महीने में एक लाख से ज्यादा नियुक्तियां होंगी। अब ये सभी नियुक्तियां आरक्षण के पुराने नियमों के अनुसार होंगी, जिससे पिछड़े-दलितों को सीधे 15 प्रतिशत का नुकसान होगा।
तेजस्वी सरकार ने पिछड़े-दलितों का आरक्षण 50 से 65 प्रतिशत किया था, जिसकी रक्षा करने में एनडीए सरकार विफल रही और अब इसका खामियाजा पिछड़े तथा दलित समाज के युवकों को भुगतना पड़ेगा।
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खबर लिखे जाने तक पटना हाईकोर्ट के 65 प्रतिशत आरक्षण सीमा को रद्द करने के फैसले के खिलाफ बिहार की एनडीए सरकार सुप्रीम कोर्ट नहीं गई है और न ही राज्य सरकार ने केंद्र की एनडीए सरकार पर 65 प्रतिशत आरक्षण को संविधान की 9 वीं अनुसूची में डालने के लिए कोई दबाव बनाया है। जाहिर है बिहार में नियुक्तियों में पिछड़े-दलितों को 65 प्रतिशत नहीं, केवल 50 प्रतिशत ही आरक्षण मिलेगा यानी 75 हजार पिछड़े-दलित युवकों को नौकरी से वंचित रहना पड़ेगा।