90 पूर्व IAS-IPS ने Bulldozer justice के खिलाफ CJI को लिखा पत्र
शायद पहली बार हुआ है कि देश के 90 पूर्व IAS-IPS अधिकारियों ने Bulldozer justice के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को लिखा पत्र। उठाए गंभीर सवाल।
देश के 90 पूर्व आइएएस-आईपीएस-आईएफएस अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर देश में कानून का राज की जगह बुलडोजर न्याय पर गहरी आपत्ति जताई है और सुप्रीम कोर्ट से हस्तक्षेप की अपील की है। इतनी महत्वपूर्ण खबर को प्रमुख मीडिया संस्थानों ने उपेक्षा कर दी।
इन अधिकारियों ने पिछले दिनों पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी के बाद विरोध कर रहे लोगों के घर को बुलडोजर से ध्वस्त करने के खिलाफ आवाज उठाई है। इन अधिकारियों ने सरकार की आलोचना करने और विरोध करने पर उन्हें भयानक सजाएं दी जा रही हैं। इसे ही पूर्व अधिकारियों ने बुलडोजर जस्टिस कहा है। अधिकारियों ने विरोध करनेवालों को गैरकानूनी ढंग से हिरासत में लेने, घर ढाहने तथा प्रदर्शनों पर पुलिस दमन का विरोध किया है। पत्र में अधिकारियों ने यह भी कहा कि म्यूनिसिपल और सिविल लॉ का भी खुलेआम मजाक उड़ाया गया है।
20 जून को भेजे गए पत्र में अधिकारियों ने लिखा है कि- यह स्थापित तथ्य है कि रूल ऑफ लॉ rule of law, विचार के अनुसार जब तक पूरी प्रक्रिया के बाद कोई दोषी करार नहीं दिया जाता, तब तक उसे निर्दोष माना जाता है, को अब पूरी तरह पलट दिया गया है। द वायर लिखता है- लगता है कि अब न्याय-दंड का भय नहीं रहा और बहुसंख्यकवादी सत्ता की मनमानी संवैधानिक मूल्यों और सिद्धांतों का मजाक उड़ा रही है।
पत्र लिखनेवालों में पूर्व गृह सचिव जी के पिल्लई, पूर्व विदेश सचिव सुजाता सिंह, पूर्व आईपीएस अधिकारियों में जूलियो रिबैरो (Julio Ribeiro), अविनाश मोहनाने, मैक्सवेल परेरा भी शामिल हैं।
उधर, पैगंबर मोहम्मद पर अमानजनक टिप्पणी करनेवाली भाजपा प्रवक्ता नुपूर शर्मा को आजतक गिरफ्तार भी नहीं किया गया है।
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