बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन के प्रधानमंत्री आचार्य श्रीरंजन सूरिदेव ने अपने मूल्यवान जीवन के ९१वर्ष पूरे कर लिए। आज उनके ९२वें जन्मदिवस पर सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ समेत अनेक साहित्यकारों और उनके परिजनों ने उनसे भेंटकर बधाई और शुभ कामनाएँ दीं।

श्री सूरिदेव के संदलपुर (बाज़ार समितिस्थित आवास पर आयोजित इस पारिवारिक उत्सव में उपस्थित होकर साहित्यकारों ने इसे एक सारस्वतउत्सव में बदल दिया। अनेक कवियों ने अपनी कविताओं से श्री सूरिदेव के माँगलिक और दीर्घजीवन की कामना की।

सम्मेलन अध्यक्ष डा सुलभ ने उन्हें सरस्वती का वरदपुत्र और साधु साहित्यिकपुरुष बताते हुए कहा किश्री सूरिदेव ने एक संत की भाँति साहित्य की आध्यात्मिकसाधना की है। ७० वर्षों से अधिक समय से निरंतर साहित्यसाधना में लीन भारतवर्ष मेंइस समय कोई दूसरा व्यक्ति नहीं है। इस आयु में भी इनकी समस्त इंद्रियाँ स्वस्थ और सक्रिए हैंयही इनके अंतस की ऊर्जा को प्रमाणित करने के लिए पर्याप्त है। आज भी वे अध्ययन और लेखन में सक्रिए हैंयह साहित्यसंसार के लिए प्रसन्नता और परितोष का विषय है। न तो उनका चितन और न उनकी लेखनी हीं थमी है। साहित्य सम्मेलन के लिए यह गौरव की बात है किदशाब्दियों बाद उनके जैसा एक योग्य और समर्थ प्रधानमंत्री उसे प्राप्त हुआ है। हमें विश्वास है कि अगले वर्ष से आरंभ हो रहे सम्मेलन के शताब्दीवर्ष में वे अपने महत्ती योगदान से उसे सार्थक और सफल बनाएँगे।

सद्भाव प्रकट करनेवालों मेंसम्मेलन के उपाध्यक्ष नृपेंद्र नाथ गुप्तकवि योगेन्द्र प्रसाद मिश्रडा मेहता नगेंद्र सिंहडा विनय कुमार विष्णुपुरीउपेन्द्र पाठकनेहाल कुमार सिंह निर्मल‘ आदि साहित्यकार सम्मिलित थे। इस अवसर पर उनके पुत्र संगम कुमार रंजनपुत्रवधू विभा रंजनपुत्रियाँ निरुपमा और अनुपमा नाथपौत्र मंत्रेश मानव तथा अमृत अनुभव आदि उनके परिजन उपस्थित थे।

By Editor


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