BBC bole Biharतो क्या अब्दुल बारी सिद्दीकी ने इशारों में कह दिया तेजस्वी हैं पार्टी के लिए 'बोझ'?

तो क्या अब्दुल बारी सिद्दीकी ने इशारों में कह दिया तेजस्वी हैं पार्टी के लिए ‘बोझ’?

राजद के वरिष्ठ नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी अपने ही कथन से बुने जाल में फंस गये. उन्होंने कहा कि जो लोग संघर्ष के बाद राजनीति में आते हैं वह पार्टी के लिए शक्ति बनते हैं लेकिन जो संघर्ष के बिना पार्टी में आ जाते हैं, वे बोझ बन जाते हैं.

नौकरशाही मीडिया

बीबीसी के एक कार्यक्रम ‘बोले बिहार’ में वह आमंत्रित किये गये थे. युवाओं के सवाल पर उन्होंने कहा कि “नये लोगों को संघर्ष करना चाहिए और राजनीति में पहचान बनानी चाहिए. जो लोग संघर्ष के बाद राजनीति में आते हैं वे किसी भी दल के लिए एसेट बनते हैं लेकिन जो लोग बिना संघर्ष के सियासत में आते हैं, वे बोझ बन जाते हैं”.

 

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सिद्दीकी के इतना कहते ही बीबीसी की एंकर ने उनसे पुरतपाक लहजे में पूछा कि तेजस्वी पार्टी के लिए बोझ हैं या पार्टी की शक्ति? ऐंकर के इस सवाल पर वहां मौजूद सैकड़ों लोगों ने तालियां बजा दी. लेकिन सिद्दीकी अपने इस कथन के बाद  कुछ और कहने से बचना चाह रहे थे लेकिन ऐंकर ने अपना सवाल दोहराया- “तेजस्वी पार्टीमें संघर्ष से नहीं आये हैं तो क्या वह पार्टी के लिए बोझ हैं या पार्टी की शक्ति”?

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ऐंकर के इस सवाल पर अब्दुल बारी सिद्दीकी ने रख चुके माइक को दोबारा संभाला और कहा “मैं इतना कह सकता हूं कि तेजस्वी पार्टी( राजद) में विरासत के कारण आये हैं”.

पटना के अधिवेशन भवन में शुक्रवार को आयोजित बीबीसी के कार्यक्रम बोले बिहार के इस कार्यक्रम में सिद्दीकी अपनी ही बातों में कई बार फंसे. महिलाओं को लोकसभा में प्रतिनिधित्व देने के मामले में उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी हमेशा से महिलाओं के प्रतिनिधित्व के मामले में सक्रिय रही है. उन्होंने भगवतिया देवी का नाम लेते हुए कहा कि लालूजी ने पत्थर तोड़ने वाली गरीब महिला को विधानमंडल और फिर लोकसभा तक पहुंचाया. इस पर उनसे पूछा गया कि राबड़ी देवी को भी मुख्यमंत्री बनाया गया लेकिन वह परिवार से थीं. इसके जवाब में सिद्दीकी ने कहा कि तब इसके अलावा लालूजी के पास कोई और विकल्प नहीं था.

बीबीसी का बोले बिहार कार्यक्रम

सिद्दीकी ने इस कार्यक्रम के शुरुआत में कहा कि जबतक बिहार को विशेष सहायता नहीं मिल जाता तब तक इसका विकास नहीं होगा.

बिहार के वित्त मंत्री रहे सिद्दीकी ने कहा कि जब उनकी सरकार थी तो बिहार का बजट आकार 22 हजार करोड़ के करीब था लेकिन आज दो लाख पांच हजार करोड़ का है. उस समय 22 हजार करोड़ भी कम नहीं था. उस समय जितना विकास हो सकता था, उनकी सरकार ने किया.

लोकसभा चुनाव 2019 के मद्देनजर बीबीसी ने इस कार्यक्रम का आयोजन किया. इसमें राजद, जदयू, भाजपा समेत तमाम दलों के अनेक नेताओं ने अपनी बात रखी.

इस कार्यक्रम में बीबीसी इंडिया के सम्पादक मुकेश शर्मा, बीबीसी के डिजिटल एडिटर राजेश प्रियदर्शी, बीबीसी के ही वरिष्ठ पत्रकार पंकज प्रियदर्शी व इकबाल अहमद भी मौजूद थे.

By Editor


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