पत्रकार पंकज पांडेय ने कहा कि मीडिया का स्वरूप व्यापक हुआ है। पारंपरिक मीडिया के सामने चुनौती आ गई है। क्योंकि इनका मूल्यांकन करने के लिए सोशल मीडिया खड़ा हो गया है।

हम सोशल मीडिया की अनदेखी नहीं कर सकते हैं। इसके जरिये महामारी के दौरान बहुत लोगों को मदद मिली है। श्री पांडेय एडवांटेज केयर डायलॉग सीरीज के सातवें एपिसोड में रविवार को बोल रहे थे। वर्चुअल प्लेटफॉर्म पर आयोजित इस परिचर्चा का विषय था, ‘महामारी के दौरान मीडिया की भूमिका और जिम्मेदारी‘। इस कार्यक्रम का संचालन मषहुर टीवी एंकर नगमा षहर ने किया। पंकज पांडेय ने अपने उदाहरण देते हुए कहा कि कोविड से उबरने के बाद वो टीवी देखना बंद कर दिए। हालांकि प्रिंट मीडिया ने कुछ हद तक संतुलित रिपोर्टिंग की। प्रिंट के जरिय से लोगों को ग्राउंड रिपोर्टिंग मिली। प्रिंट मीडिया ने सरकार पर दबाव बनाने का काम किया।
श्री पांडेय ने मीडिया पर उठ रहे सवाल पर कहा कि जब बड़े-बड़े कॉरपोरेट आएंगे, सस्ती जमीन लेंगे और अलग-अलग बिजनेस करेंगे तो यह होगा। पहले सब कुछ गुपचुप हो जाता था। लेकिन अब सोशल मीडिया इसको भी एक्सपोज कर दे रहा है। जनता का जजमेंट सबसे बेहतर होता है। वो जानती है कि कौन सही दिखा रहा है। अतः जनता की अदालत पर भरोसा करना चाहिए। पंकज पांडेय हिन्दुस्तान अखबार (नई दिल्ली) में पत्रकार हैं।
40 से 50 लाख मौत के बाद जागे तो क्या फायदा: विनोद कापरी

राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त कर चुके फिल्मकार विनोद कापरी ने कहा कि 40 से 50 लाख लोगों के मौत के बाद यदि हम जागे तो क्या जागे। देश में हर रोज आधिकारिक तौर पर पांच हजार चिताए जलती रही। ऑक्सीजन सिलेंडर की कमी से लोग मर गए। पिछले वर्ष 28 मार्च के बाद मजदूर सड़क पर आ गए थे। लेकिन एक माह तक तबलीगी जमात पर बात हो रही थी। लोग भूख से मरते रहे, लेकिन मीडिया में रिया चक्रवर्ती और सुशांत पर चार माह चर्चा होती रही।
मीडिया का काम सच्ची जानकारी देना है: डां रंजना कुमारी

सामाजिक उद्यमी डॉ. रंजना कुमारी ने कहा कि मीडिया अपने आप में बहुत महत्वपूर्ण है। इसका काम सरकार से जुड़े कामकाज की जानकारी देना है। मीडिया का काम मौजूं चीजों को बताना है। लोगों के बीच जागरूकता पैदा करना है।
यदि लोगों को सही और समझदारी भरी जानकारी मिलती है तो लोग उसके अनुसार योजना बनाते हैं। पर, मीडिया में कुछ ऐसा हो रहा है कि लोगों की आस्था इस पर कम हो गई है। यह बात मीडिया वाले भी जानते हैं। न्यूज प्रोपेगेंडा या प्रचार-प्रसार नहीं है। न्यूज शोरगुल भी नहीं है। लेकिन आज मीडिया शोरगुल में डूब गई है। न्यूज बनाने वाले का काम नफरत पैदा करना नहीं होना चाहिए बल्कि सच्ची जानकारी देने का होना चाहिए।
समाचार विचार नहीं होता: मारिया शकील

सीएनएन-आईबीएन की पुरस्कार विजेता पत्रकार मारिया शकील ने कहा कि समाचार विचार नहीं है। इस महामारी में मीडिया ने अपनी भूमिका कुछ हद तक निभाई है। धरातल की रिपोर्टिंग हुई है। दूसरी लहर में दिल्ली-महाराष्ट्र की सबने रिपोर्टिंग की, लेकिन हमने ग्राउंड रिपोर्टिंग की। बिहार में कोविड का टेस्ट नहीं हो रहा था, स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई थी। लेकिन इसे दिखाने की कोशिश की।
बौद्धिक निवेश की आवश्यकता: शिशिर सिन्हा

द हिंदू बिजनेस लाइन के वरिष्ठ उप संपादक शिशिर सिन्हा ने कहा कि हम यह तय करें कि लोगों को डराएंगे नहीं। दहशत पैदा नहीं करना चाहिए। बौद्धिक स्तर पर यदि पूरा निवेश करना है, जिससे लोगों को सांत्वना मिल सके। लोगों को आगाह कर सकें। यदि मीडिया इस रोल में आ जाए तो इस पर उठ रहे सवाल से बचा जा सकता है। केवल खबर या सूचना को परोस देना काफी नहीं है बल्कि उसमें कुछ बौद्धिक निवेश करने की जरूरत है।
एडवांटेज केयर एप, एक क्लिक पर स्वास्थ्य सेवा: डाॅ. ए.ए. हई

परिचर्चा के बीच में जाने माने सर्जन व पारस एचएमआरआई के सर्जरी विभाग के हेड डॉ. ए.ए. हई ने एडवांटेज केयर एप लांच किया। ऐप लांच करते हुए उन्होंने कहा कि महामारी के दौरान अद्भुत अनुभव रहा। लोगों ने बहुत सारी परेशानियां झेली।
जब महामारी शीर्ष पर था तब लोग परेशान थे कि कैसे ऑक्सीजन सिलेंडर और अस्पताल में बेड मिलेगा। इन सब समस्या से निजात के लिए इस ऐप को लांच किया गया है।
अररिया में बना हई फाउंडेशन का अस्पताल, कोरोना का फ्री इलाज
ऐप को बनाने में मुख्य भुमिका निभाने वाले डेल टेक्नोलॉजी के सैयद नसीर हैदर ने कहा कि इस एप से लोगों को पटना, दरभंगा और रांची के निजी अस्पतालों में खाली बेड, आईसीयू या ऑक्सीजन बेड की जानकारी मिलेगी। फोन करने पर एडवांटेज केयर के स्वयंसेवक लोगों की मदद करेंगे। लोग इस ऐप की मदद से मुफ्त में एंबुलेंस, ऑक्सीजन सिलेंडर और डॉक्टर की सलाह ले सकते हैं। इसके अलावा यदि कोई घर पर किसी तरह के टेस्ट का सैंपल देना चाहता है तो इस ऐप के माध्यम से लैबोरेट्ररी के टेक्नीशियन को घर पर बुलाकर टेस्ट का सेंपल दे सकते हैं या जांच करा सकते हैं।
एप मोबाइल प्ले स्टोर पर उपलब्ध है। इसमें सरला लैबोरेट्ररी मदद कर रहा है। श्री सैयद नसीर हैदर एडवांटेज सपोर्ट के ट्रस्टी प्रो. नफीस हैदर के पुत्र हैं।
एडवांटेज केयर ऐप समय की जरूरत : खुर्शीद

अहमद एडवांटेज केयर के संस्थापक एवं सी.ई.ओ. खुर्शीद अहमद ने एडवांटेज केयर ऐप की जानकारी देते हुए बताया कि अलग-अलग डाॅक्टर हर दिन मरीजों की सेवा में काम करेंगे.