अगर JDU उप्र में जोर लगाए, तो उसके तीन सपने हो सकते हैं पूरे

CM नीतीश कुमार ने बुधवार को सीधे PM नरेंद्र मोदी को घेरा। कहा, उन्हें पता ही नहीं है पिछड़ेपन का दर्द। JDU के तीन सपने क्या हैं और क्यों उप्र का महत्व है?

कुमार अनिल

बिहार की राजनीति मोटे तौर पर स्थिर हो गई है। 2024 में कैसा संघर्ष होगा, कैसे गठबंधन आमने-सामने होंगे, उसकी तस्वीर कमोबेश तय हो चुकी है। इसे मजबूत करना जरूरी है, लेकिन जदयू अगर उत्तर प्रदेश में जोर लगाता है, तो उसके तीन सपने पूरे होने की संभावना बढ़ेगी। जदयू के सभी बड़े नेता इस बात को कहते रहे हैं कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार में राष्ट्र को नेतृत्व देने की क्षमता है। खुद नीतीश कुमार भी चाहते हैं कि सारे भाजपा विरोधी दल एक साथ आएं। इस दिशा में उन्होंने प्रयास भी किया है। तो जदयू का पहला सपना है अपने नेता को राष्ट्रीय राजनीति में स्थापित करना। नीतीश कुमार की पहचान देशभर में है। उनकी इस पहचान को सुदृढ़ करना।

जदयू का दूसरा सपना है पार्टी को राष्ट्रीय दल की मान्यता दिलाना। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह इस संकल्प को दुहरा चुके हैं। और पार्टी का तीसरा सपना है जनाधार का विस्तार करना। उन तबकों में खासकर जो कमजोर हैं, महिला, अस्पसंख्यक और अतिपिछड़े।

जदयू के इन तीन सपनों को पूरा करने के लिए यूपी की राजनीति में हस्तक्षेप करना जरूरी है। यूपी में जोर लगाने से सबसे पहला फायदा नीतीश कुमार की छवि को मिलेगा। यूपी भाजपा का गढ़ है। यहां लोकसभा की 80 सीटें हैं, जिनमें भाजपा ने 2019 में 62 सीटों पर जीत हासिल की थी। दो सीटों पर उसके सहयोगी दल जीते। यूपी से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनाव जीते हैं। अगले साल राममंदिर का निर्माण पूरा होगा, जिसे भाजपा बड़ा मुद्दा बनाएगी। अगर नीतीश कुमार यूपी में जोर लगाते हैं, तो भाजपा को चुनौती देते दिखेंगे, जो उनकी राष्ट्रीय छवि को मजबूत करेगा।

यूपी में जदयू जोर लगाए, तो उसके लिए स्पेस भी है। यहां कुर्मी मतदाता लगभग छह प्रतिशत हैं। पूर्वी यूपी से इलाहाबाद, फूलपुर और अवध के इलाके में इनकी संख्या जीत-हार को तय कर सकती है। फिलहाल इस वर्ग का ज्यादा हिस्सा भाजपा की तरफ है। जदयू यूपी में जोर लगाए, तो भाजपा को ही नुकसान होगा। जदयू पर कोई यह आरोप नहीं लगा सकता, जो आरोप अरविंद केजरीवाल या कुछ अन्य नेताओं पर लगते हैं। यूपी में अच्छा प्रदर्शन जदयू के राष्ट्रीय दल बनने की संभावनाओं का द्वार खोलेगा।

और अंत में, यूपी में जोर लगाने, भाजपा को कमजोर करने का का अर्थ होगा, बिहार के भाजपा विरोधी आधार में आकर्षण का बढ़ना। जदयू के पास यूपी में कहने को बहुत कुछ है। जातीय जनगणना, अतिपिछड़ों के लिए अनेक योजनाएं, धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए सुरक्षित माहौल तथा अन्य। जदयू के लिए यूपी में स्पेस भी है और मुद्दे भी। राजद के लिए स्पेस नहीं है, पर जदयू के लिए है। इस तरह यूपी में जोर लगाने से जदयू अपने तीन लक्ष्य हासिल करने की दिशा कदम बढ़ा सकता है। जीत-हार अलग बात है, सवाल है आप संघर्ष और प्रयास करते दिखें। परसेप्शन बनाने की बात है।

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By Editor


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