अग्निवीर जवान कश्मीर में शहीद, नहीं मिला अंतिम सैनिक सम्मान
अग्निवीर जवान कश्मीर में शहीद, नहीं मिला अंतिम सैनिक सम्मान। शहीद का पार्थिव शरीर सैनिक वाहन के बजाय प्राइवेट एंबुलेंस से भेजा। कांग्रेस ने जताया रोष।
संभवतः पंजाब के रहने वाले अमृतपाल सिंह पहले अग्निवीर हैं, जिन्होंने देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया है। वे 10 अक्टूबर को कश्मीर में शहीद हो गए। उनके पार्थिव शरीर को सैनिक वाहन से भेजने के बजाय प्राइवेट एंबुलेंस से उनके गांव भेजा गया। कांग्रेस ने इस पर गहरा रोष जताया है। पार्टी ने कहा कि यह देश के शहीदों का अपमान है।
कांग्रेस पार्टी के आधिकारिक बयान में कहा गया है कि पंजाब के रहने वाले अमृतपाल सिंह अग्निवीर के तौर पर सेना में भर्ती हुए। वो कश्मीर में तैनात थे, 11 अक्टूबर को गोली लगने से वे शहीद हो गए। दुखद ये है कि देश के लिए शहीद होने वाले अमृतपाल जी को सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई भी नहीं दी गई। उनका पार्थिव शरीर एक आर्मी हवलदार और दो जवान लेकर आए। इसके अलावा आर्मी की कोई यूनिट तक नहीं आई। यहां तक कि उनके पार्थिव शरीर को भी आर्मी वाहन के बजाए प्राइवेट एंबुलेंस से लाया गया। शहीद अमृतपाल पिछले साल 10 दिसंबर, 2022 को अग्निवीर के बतौर सेना में भर्ती हुए थे। ये देश के शहीदों का अपमान है।
पंजाब के रहने वाले अमृतपाल सिंह अग्निवीर के तौर पर सेना में भर्ती हुए।
— Congress (@INCIndia) October 14, 2023
वो कश्मीर में तैनात थे, 10 अक्टूबर को गोली लगने से वे शहीद हो गए।
दुखद ये है कि देश के लिए शहीद होने वाले अमृतपाल जी को सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई भी नहीं दी गई।
उनका पार्थिव शरीर एक आर्मी हवलदार और दो… pic.twitter.com/WtgUopfSXR
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने सैनिक अमृतपाल सिंह के बलिदान पर गहरा दुख व्यक्त किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि अमृतपाल सिंह मानसा जिले के गांव कोटली कलां के रहने वाले थे। पूर्व राज्यपाल सतपाल मलिक ने ट्वीट किया- आज शहीद #अग्निवीर #अमृतपाल_सिंह का #पार्थिव_शरीर उनके गांव #कोटली_कलां आया, जिसे 2 फ़ौजी भाई प्राइवेट एंबुलेन्स से छोड़कर गए! जब ग्रामीणों ने पूछा तो उन्होंने बताया कि #केंद्र_सरकार की नई नीति के तहत अग्निवीर को #शहीद_का_दर्जा नहीं दिया गया है, इसलिए सलामी नहीं दी जाएंगी! फिर SSP साहब से गांव वालों ने बात कर #सलामी #पुलिस_वालों से दिलवाई। ये घटना साबित करती है कि अग्निवीर इसलिए बनाएं है ताकि शहीद का दर्जा ना दिया जाएं ओर #फौजख़त्म हो जाए। केंद्र सरकार को शर्म आनी चाहिए कि वो शहीद का दर्जा नहीं दे रहे। सोशल मीडिया में भी शहीद जवान को सैनिक सम्मान नहीं दिए जाने पर कई लोगों ने विरोध जताया है। आदिवासी डॉट कॉम ने लिखा-अगर हमारा देश अपने शहीदों को सम्मान नहीं देगा, तो फिर यह दुखद स्थिति है। फिर कोई क्यों सेना में जायेगा? क्यों कोई देश के लिए गोली झेलेगा?
जाति गणना के खिलाफ भाजपा पर्दे में, कुशवाहा को विरोध में उतारा