बिहार से बड़ी खबर है। एआईएमआईएम के अध्यक्ष सांसद असदुद्दीन ओवैसी और इंडिया गठबंधन के दलों के बीच बातचीत चल रही है। सूत्र बताते हैं कि कांग्रेस को कोई एतराज नहीं है और राजद नेता तेजस्वी यादव भी विचार कर रहे हैं। अब तक की बातचीत सकारात्मक रही है। जानकारों का कहना है कि ओवैसी बिहार के महागठबंधन का हिस्सा बनते हैं, तो एनडीए का सारा खेल बिगड़ सकता है।

ओवैसी तेलंगाना के हैदराबाद से सांसद हैं। हाल के दिनों में वहां कांग्रेस के मुख्यमंत्री रेवंथ रेड्डी तथा ओवैसी कई बार एक साथ मंच साझा करते दिखे हैं। भारत-पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध के दौरान तथा बाद में भी ओवैसी का स्टैंड वही रहा है, जो इंडिया गठबंधन के दलों का रहा है। इस प्रकार वैचारिक दूरियां कम हुई हैं। सूत्र बताते हैं कि भाजपा को बिहार की सत्ता से बाहर करने के लिए ओवैसी और इंडिया गठबंधन हाथ मिला सकते हैं।

राजद के भीतर भी ओवैसी को साथ लेने पर मंथन चल रहा है। ओवैसी की पार्टी का प्रभाव सीमांचल में है, जहां पिछली बार उनके पांच विधायक जीते थे। सीमांचल में भाजपा कमजोर है, लेकिन भाजपा विरोधी वोटों के बंटवारे से उसे फायदा होता रहा है। अब अगर वे गठबंधन के साथ चुनाव लड़ते हैं, तो भाजपा को वह फायदा नहीं मिल पाएगा।

ओवैसी की पार्टी की बिहार इकाई के नेता भी चाहते हैं कि भाजपा को सत्ता से दूर रखने के लिए महागठबंधन में शामिल होना उचित होगा।

सूत्र बताते हैं कि एक बार वैचारिक तौर पर सहमति बन जाती है, तो सीटों का बंटवारा कोई बड़ी बाधा नहीं होगा। महागठबंधन में थोड़ा-थोड़ा अगर राजद और कांग्रेस त्याग करें, तो एआईएमआईएम को एडजस्ट किया जा सकता है।

चुनाव के अलावा देश की राजनीतिक स्थिति और खासकर वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ संघर्ष में भी इस एकजुटता का लाभ होगा।

By Editor