Akhilesh-Mamata ने ऐसा बनाया प्लान, राहुल-तेजस्वी परेशान
Akhilesh Yadav और Mamata Banerjee ने एक ऐसा बनाया प्लान कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव के उड़ सकते हैं होश। जानिए क्या बनाया प्लान।
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सपा प्रमुख Akhilesh Yadav शुक्रवार की शाम कोलकाता पहुंचे। उन्होंने प. बंगाल की मुख्यमंत्री Mamata Banerjee से मुलाकात की। दोनों ने मिल कर एक ऐसा प्लान बनाया है, जिससे राहुल गांधी और तेजस्वी यादव परेशान हो सकते हैं। दोनों इस बात पर सहमत हुए कि 2024 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ कोई समझौता नहीं करना है। विपक्षी एकता से कांग्रेस को दूर रखना है। याद रहे अखिलेश यादव चंद दिनों पहले राजद प्रमुख लालू प्रसाद से भी मिल चुके हैं। अखिलेश यादव ने लालू प्रसाद से क्या कहा और लालू ने जवाब में क्या कहा, इसे लेकर कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है। आप कल्पना कर सकते हैं कि दोनों में क्या बात हुई होगी।
शुक्रवार की शाम को खबर आई की सपा प्रमुख अखिलेश यादव कोलकाता पहुंचनेवाले हैं। वे ममता बनर्जी से मुलाकात करेंगे। मीडिया की खबरों के मुताबिक दोनों नेताओं में इस बात पर सहमति बन गई कि 2024 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ कोई तालमेल नहीं करना है। याद रहे भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होने के सवाल पर अखिलेश यादव ने कहा था कि कांग्रेस और भाजपा में कोई फर्क नहीं। ममता बनर्जी ने हाल में हुए तीन राज्यों के चुनाव के बाद कहा था कि कांग्रेस, लेफ्ट और भाजपा में कोई अंतर नहीं है।
निश्चित रूप से यह खबर राहुल गांधी और तेजस्वी यादव को परेशान करनेवाली है। इसकी टाइमिंग देखिए कि जब दिल्ली में कांग्रेस के नेतृत्व में राजद सहित अनेक दल प्रधानमंत्री मोदी और अडानी के रिश्ते पर सवाल पूछ रहे हैं और भाजपा राहुल गांधी के लंदन भाषण पर उनसे माफी मांगने की मांग कर रही है, तब अखिलेश यादव और ममता बनर्जी का कांग्रेस को किनारा करना खास महत्व रखता है। राहुल गांधी और तेजस्वी यादव दोनों के लिए यह खबर होश उड़ानेवाली है। राजद नेता लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव कांग्रेस के साथ चलना चाहते हैं और इस रणनीति पर केंद्र की भाजपा सरकार को 2024 में सत्ता से बाहर करना चाहते हैं। अब अगर भाजपा और कांग्रेस दोनों के खिलाफ कोई रणनीति और मोर्चा बनता है, तो स्वाभाविक रूप से राहुल और तेजस्वी के लिए यह बुरी खबर होगी।
भाजपा की यही चाहत है कि 2024 लोकसभा चुनाव में विपक्ष और भाजपा में सीधा मुकाबला नहीं हो, बल्कि भाजपा के सामने विपक्ष के एक से ज्यादा प्रत्याशी हों। अगर ऐसा होगा, तो भाजपा फायदे में रहेगी। विपक्ष में फूट का उसे चुनाव में ही नहीं अडानी मुद्दे पर भी लाभ होगा। फिलहाल संसद में विपक्ष की एकता को वह तोड़ नहीं पा रही है। अगर अडानी मुद्दे पर भी वह विपक्ष को तोड़ सके, तो यह उसकी सफलता मानी जाएगी।
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