अखिलेश के बाद रामदेव व उनके बिहारी शिष्य भी नहीं लेंगे वैक्सीन
कुमार अनिल
देशभर में कोरोना वैक्सीन जल्द मिलने की दुआ की जा रही है, वहीं योग गुरु बाबा रामदेव ने यह कहकर नई बहस छेड़ दी है कि वे वैक्सीन नहीं लेंगे। उनके बाद अब बिहार के योग गुरुओं ने भी वैक्सीन लेने से मना कर दिया है।
पतंजलि योग समिति, बिहार-झारखंड के प्रांत प्रभारी अजीत कुमार भी अपने गुरु बाबा रामदेव की तरह कोरोना वैक्सीन नहीं लेंगे। नौकरशाही डॊट काम से बात करते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें कोरोना से बिल्कुल डर नहीं लगता और वे कोरोना वैक्सीन नहीं लेंगे। कहा कि वे स्वेच्छा से वैक्सीन लेनेवाले को मना नहीं करेंगे, लेकिन खुद वे कोई वैक्सीन नहीं लेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने कई कोरोना मरीजों का इलाज किया है, उनके संपर्क में भी रहे हैं, लेकिन उन्हें कोरोना का संक्रमण नहीं हुआ।
इससे पहले योग गुरु बाबा रामदेव ने मीडिया से बात करते हुए खुद वैक्सीन नहीं लेने की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि उनका इम्यून सिस्टम इतना मजबूत है कि वैक्सीन लेने की उन्हें जरूरत नहीं है। उनकी घोषणा के बाद अब बिहार-झारखंड के कई योग विशेषज्ञ कोरोना वैक्सीन नहीं लेंगे।
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हालांकि नौकरशाही डॊट कॊम ऐसे किसी दावे का समर्थन नहीं करता कि जिनका इम्यून सिस्टम मजबूत हो उन्हें कोरोना वैक्सीन नहीं लेना चाहिए। डब्ल्यूएचओ और वैज्ञानिकों द्वारा प्रमाणित वैक्सीन जरूर लें।
पक्ष-विपक्ष में राजनीति गरमाई
भारत में दो कोविड वैक्सीन के आपात इस्तेमाल की मंजूरी मिल चुकी है। वैक्सीन की प्रभावशीलता (efficacy of vaccine) को लेकर उठे सवालों के बीच उत्तर प्रदेश में विपक्ष के सबसे बड़े नेता अखिलेश यादव ने कहा कि वे “बीजेपी वैक्सीन” नहीं लेंगे। देशभर में विवाद छिड़ने के बाद उन्होंने सफाई दी कि उन्होंने वैज्ञानिकों की क्षमता पर सवाल नहीं उठाए हैं, बल्कि सरकार की तैयारी पर प्रश्न खड़ा किया है।
-ड्रग कंट्रोलर पर भी उठ रहे सवाल
ड्रग कंट्रोलर जेनरल आफ इंडिया (DCGA) डॊ. वीजी सोमानी पर भी कई लोगों ने सवाल उठाए हैं। उन्होंने एक छोटा-सा प्रेस नोट पढ़ते हुए सिरम इंस्टीच्यूट और भारत बायोटेक के कोविड-19 वैक्सीन को मंजूरी दे दी। इस दौरान किसी पत्रकार को सवाल पूछने नहीं दिया गया। उन्होंने वैक्सीन को 110 प्रतिशत कारगर बताया। सवाल यह उठ रहा है कि जब भारत बायोटेक के वैक्सीन के तीसरे चरण का ट्रायल अभी पूरा भी नहीं हुआ है, उसके परिणामों का विश्लेषण भी नहीं किया गया है, तब उसे 110 प्रतिशत कारगर कैसे बताया जा रहा है। विशेषज्ञों ने ऐसे और भी सवाल उठाए हैं।