आखिर किस साहस से चार दिनों से समानांतर मीटिंग कर रहे RCP
केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह चार दिनों से लगातार विभिन्न जिलों के नेताओं के साथ मीटिंग कर रहे हैं, जबकि राज्यसभा के लिए उनके टिकट पर आज भी संशय बना हुआ है।
जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह पिछले गुरुवार को पटना पहुंचे। तब एयरपोर्ट पर नेताओं ने उनका स्वागत किया था। मीडिया से भी उन्होंने खूब बात की। शुक्रवार से उनके सरकारी आवास पर मिलनेवाला का सिलसिला शुरू हुआ, जो खबर लिखे जाने तक जारी है। वे रोज सुबह साढ़े आठ बजे कार्यकर्ताओं-नेताओं से मिलना शुरू कर देते हैं और दोपहर में थोड़ी देर ब्रेक लेकर फिर देर शाम तक मिलते रहते हैं। सोमवार को भी वे विभिन्न जिलों से आए सैकड़ों कार्यकर्ताओं से मिल चुके हैं। उनके इस मैराथन मीटिंग से राजनीतिक हलके में खलबली है।
स्वाभाविक यह होता है कि पार्टी का कोई पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष अगर केंद्र में मंत्री हो, तो राज्यसभा के लिए उसके दुबारा चुने जाने पर कोई शक नहीं होता और पार्टी काफी पहले इसकी घोषणा भी कर देती है, लेकिन जिस पार्टी के संस्थापक जॉर्ज फर्नाडीस को भी कभी टिकट से वंचित कर दिया गया था, उस पार्टी के केंद्रीय मंत्री के नाम की उम्मीदवारी पर संशय होना भी स्वाभाविक है। यही सवाल आज पटना के राजनीतिक गलियारों में गुंजता रहा कि जिसकी उम्मीदवारी पर अबतक संशय छाया है, वह आखिर किस साहस से राज्यभर के नेताओं से मिल रहा है। इसके पीछे कोई रणनीति है, भविष्य की कोई योजना है? है, तो क्या है?
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के राज्य में जातीय जनगणना के सवाल पर भाजपा की असहमति के बावजूद कदम आगे बढ़ाने से आरसीपी सिंह के टिकट को जोड़कर भी देखा जा रहा है। एक मान्यता यह है कि चूंकि नीतीश कुमार भाजपा से दूर जा रहे हैं, इसलिए वे भाजपा के करीबी आरसीपी सिंह को टिकट नहीं देेंगे। एक दूसरी समझ इसके विपरीत भी है कि चूंकि नीतीश कुमार एक बड़ा निर्णय लेनेवाले हैं, इसलिए वे नहीं चाहेंगे कि उनका कोई प्रमुख नेता असंतुष्ट हो और भाजपा को कोई मौका मिले।
आरसीपी सिंह के चार दिनों में सैकड़ों कार्यकर्ताओं से मिलने को शक्ति प्रदर्शन भी माना जा सकता है। वे पहले भी शक्ति प्रदर्शन कर चुके हैं। पाठकों को याद होगा कि जब वे केंद्र में मंत्री बने, तो जदयू के एक धड़े ने आरोप लगाया कि वे नीतीश कुमार की इच्छा के विपरीत मंत्री बन गए। उन्हें भाजपा से बात करने की जिम्मेदारी दी गई थी, जबकि वे खुद ही मंत्री बन गए। तब आरसीपी सिंह के खिलाफ खूब माहौल बनाने की कोशिश हुई थी। बाद में जब वे मंत्री बनने के बाद पहली बार पटना आए, तो उनका जबरदस्त स्वागत हुआ था। तब भी राज्य भर से नेता-कार्यकर्ता आए थे।
तो क्या आरसीपी सिंह टिकट नहीं मिलने पर आगे की कार्यवाही के लिए शक्ति संचय कर रहे हैं?
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