जातीय जनगणना : सर्वदलीय बैठक पर BJP में खलबली

जातीय जनगणना पर 27 मई को सर्वदलीय बैठक के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रस्ताव पर भाजपा में खलबली मच गई है। तय नहीं कर पा रही क्या करे।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जातीय जनगणना पर 27 मई को सर्वदलीय बैठक के लिए सभी दलों से सहमति मांगी है। मिल रही जानकारी के अनुसार भाजपा को छोड़कर सभी दलों ने अपनी सहमति दे दी है। न्यूज एजेंसी पीटीआई के अनुसार मुख्यमंत्री ने कहा कि अधिकतर दलों ने 27 मई को बैठक में शामिल होने की सहमति दे दी है, लेकिन कुछ दलों ने अब तक सहमति नहीं दी है। मुख्यमंत्री के बयान से साफ है कि केवल भाजपा ने सहमति नहीं दी है। राजद और उसके सहयोगी दल तो सर्वदलीय बैठक की भी जरूरत को खारिज करते हुए सीधे मुख्यमंत्री की घोषणा की मांग करते रहे हैं, क्योंकि उनका कहना है कि जातीय जनगणना पर पहले कई राउंड सर्वदलीय बैठक हो चुकी है। इसीलिए राजद और उसके सहयोगी दल स्वाभाविक है कि सर्वदलीय बैठक में शामिल होकर जातीय जनगणना जल्द शुरू करना चाहेंगे। वहीं एनडीए में शामिल जदयू, जीतनराम मांझी की पार्टी हम भी जातीय जनगणना के पक्ष में है। इस तरह साफ है कि केवल भाजपा इस पर सहमत नहीं है।

जातीय जनगणना के पक्ष में तीन दिन पहले कई ट्वीट करनेवाले पूर्व उप मुख्यमंत्री और भाजपा सांसद सुशील कुमार मोदी ने जब से सर्वदलीय बैठक की चर्चा शुरू हुई है, तब से इस सवाल पर चुप्पी साध ली है। खबर है कि 27 मई को सर्वदलीय बैठक करने के प्रस्ताव पर भाजपा में खलबली है। अगर वह विरोध करती है, तो साफ है बिहार में आर-पार की लड़ाई शुरू हो जाएगी। इसके बाद कुछ भी हो सकता है। अगर वह बैठक पर सहमत होती है और जातीय जनगणना के पक्ष में राय देती है, तो, इसके लिए उसे केंद्रीय नेतृत्व से सहमति लेनी होगी, क्योंकि केंद्रीय नेतृत्व इस सवाल पर विरोध जता चुका है। भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व जानता है कि जातीय जनगणना होते ही राज्य की राजनीति में उसे भारी नुकसान हो सकता है।

सर्वदलीय बैठक के प्रस्ताव से भाजपा बुरी तरह फंस गई है। बीच में लालू परिवार पर सीबीआई के छापे से किसी को लगा होगा कि जातीय जनगणना का सवाल पीछे छूट जाएगा, पर ऐसा नहीं हुआ।

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