अलग बथानवाले केजरीवाल संकट में, नीतीश-तेज मिले तो बदला सुर
कभी जम्मू-कश्मीर के राज्य का दर्जा खत्म करने पर मोदी सरकार को समर्थन, बिलकिस पर मौन रहनेवाले केजरीवाल संकट में हैं। नीतीश-तेजस्वी मिले तो बदला सुर।
कुमार अनिल
विभिन्न विभागों के सचिव और आईएएस अफसरों के तबादले का अधिकार किसे हो, इसे लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री महीनों से लड़ाई लड़ रहे हैं। मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और कोर्ट ने केजरीवाल सरकार को अफसरों के तबादले का अधिकार दे दिया। अब केंद्र की मोदी सरकार ने अध्यादेश ला कर सुप्रीम कोर्ट का फैसला उलट दिया, जिसका स्पष्ट मतलब है कि तबादले का अधिकार फिर से एलजी को दे दिया।
जो केजरीवाल कभी जम्मू-कश्मीर के राज्य का दर्जा खत्म करने पर विपक्षी दलों से अलग होकर मोदी सरकार का समर्थन कर रहे थे, बिलकिस बानो पर कभी मुंह नहीं खोला, अडानी से लेकर राहुल गांधी की सदस्यता खत्म करने तक कभी विपक्ष के साथ, कभी विपक्ष से अलग चलने वाले, वही केजरीवाल आज गहरे संकट में हैं। संकट की घड़ी में सबसे पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव बेंगलुरू से पटना लौटने के बदले केजरीवाल से मिलने दिल्ली पहुंचे और केंद्र सरकार की मनमानी और तानाशाही के खिलाफ केजरीवाल को अपना समर्थन दिया। केजरीवाल से मिल कर समर्थन देनेवाले नीतीश और तेजस्वी पहले दो नेता हैं।
बिहार सीएम श्री @NitishKumar जी एवं उपमुख्यमंत्री श्री @yadavtejashwi जी का आज अपने आवास पर आतिथ्य करने का अवसर मिला। दिल्ली में केंद्र सरकार की तानाशाही समेत कई राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा हुई।
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) May 21, 2023
नीतीश जी और तेजस्वी जी के सभी दिल्लीवासियों के साथ खड़े होने पर मैं उनका शुक्रिया अदा… pic.twitter.com/xaIZ5ludwA
नीतीश और तेजस्वी से मिलने के बाद केजरीवाल पहली बार विपक्षी एकता पर गंभीर ढंग से बोलते देखे गए। उन्होंने दिल्ली के साथ हुए अन्याय के खिलाफ सभी विपक्षी दलों से समर्थन मांगा। कहा कि अगर सारे दल एक हो जाएं, तो राज्यसभा से अध्यादेश पास नहीं हो सकेगा।
नीतीश और तेजस्वी यादव के समर्थन देने के बाद अब माना जा रहा है कि पटना में होने वाली विपक्षी दलों की बैठक में अरविंद केजरीवाल भी शामिल होंगे।
जदयू के अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा-माननीय सर्वोच्च न्यायालय की संविधान पीठ ने दिल्ली में जनता द्वारा चुनी गयी श्री अरविंद केजरीवाल जी की सरकार के अधिकार को बहाल कर लोकतंत्र बहाल किया। दिल्ली की सरकार को लोकतांत्रिक अधिकार दिया और पर्दे के पीछे से लेफ़्टिनेंट गवर्नर के माध्यम से देश की सरकार के द्वारा किये जा रहे शासन पर रोक लगायी। लेकिन आदरणीय प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व वाली लोकतंत्र विरोधी सरकार ने अध्यादेश लाकर यह साबित कर दिया कि देश में अघोषित आपातकाल है और इसमें लोकतंत्र का कोई स्थान नहीं। साम, दाम, दंड का भरपूर इस्तेमाल कर किसी भी हालत में शासन करना है। लेकिन किसी को ग़लतफ़हमी नहीं होनी चाहिए….. इस देश की जनता लोकतंत्र में विश्वास करती है और 2024 में लोकतंत्र स्थापित होगा, भाजपा मुक्त भारत होना तय है।
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