भारत सरकार के पुर्व नौकरशाह तथा बाबु धाम ट्रस्ट के संस्थापक एपी पाठक ने चंपारण से युवाओं के पलायन और ब्रेन डेड पर काफी चिंता व्यक्त किया है।
उन्होंने मिडिया से बात करते हुए बताया कि 56 प्रतिशत उच्च शिक्षा प्राप्त युवाओं/युवतियों को रोजगार नहीं मिलता। और 25 प्रतिशत युवा/युवतियां ब्रेन डेड के शिकार हो रहे हैं और रोजगार के लिए पलायन करने को मजबूर है। उन्होंने कहा कि एक तो चंपारण में कौशल शिक्षा व रोजगारपरक शिक्षा की कमी है और थोड़ी है भी तो युवाओं को रोजगार के अवसर यहां नहीं मिलते। आईटी सेक्टर, कॉल सेंटर, कृषि प्रौद्योगिकी और टेक्निकल क्षेत्रों में रोजगार की चंपारण में भारी किल्लत है। युवाओं के सपनों पर पानी फिर रहा हैं। युवा बेहाल है और सरकार मूकदर्शक बनी हुई है। चंपारण में एक तो उद्योग धंधे नहीं है और थोड़ी बड़ी एमएसएमई और गन्ना उद्योग है तो बाहरी लोगों को रोजगार में ज्यादा तरजीह दी गई है।
सरकार और चंपारण के जिला उद्योग को इसे गंभीरता से लेकर एक समिति बना सर्वे करा जनता और मिडिया के सामने लाना चाहिए कि स्थानीय लोगों को शुगर फैक्ट्री में स्किल्ड वर्कर और रेगुलर एम्पलॉई के तौर पर कितनी मात्रा में रखा गया है।
चंपारण के युवाओं के रोजगार के लिए एपी पाठक लगातार प्रयासरत है और यहां के हजारों युवाओं को रोजगार दिलवाने में महती भूमिका अदा किया है। इस बाबत संवाददाताओं ने जब एपी पाठक से संपर्क किया तो उन्होंने बताया कि बरसात के मौसम बाद बगहा और नरकटियागंज तथा लौरिया में वो युवाओं के लिए जॉब कैंप लगाने हेतु विचार कर रहे है।
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एपी पाठक ने अलग अलग कंपनियों से चंपारण आने हेतु एक चरणबद्ध अभियान के तहत उन कम्पनियों के मालिक और सीईओ से बातचीत कर रहे हैं और उनके निवेदन कर रहे है। इस बाबत एपी पाठक ने मिडिया से बताया कि बेरोजगारी अपराध,तनाव और समाज में वैमनस्य को जन्म देती है और हमारा चंपारण सम्यक विकास तभी करेगा जब हर हाथ को रोजगार हो और हमारे युवा पलायन नहीं करें और वो युवा अपने स्किल और मेहनत से एक बेहतर और समृद्ध चंपारण की नीव रखें जिसे आनेवाली पीढ़ी प्रेरणा के रूप में लें।
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