Arab देशों की नाराजगी अंग्रेजी में है, हिंदी अखबारों से गायब
इंडियन एक्सप्रेस, टाइम्स ऑफ इंडिया, द टेलिग्राफ सभी अखबारों की आज लीड खबर है अरब की नाराजगी, लेकिन बड़े हिंदी अखबारों ने इसे नही दी जगह।
कुमार अनिल
हिंदी पाठकों को हिंदी के अखबार ही धोखा दे रहे हैं। उन्हें देश के लिए महत्वपूर्ण सूचनाओं से वंचित कर रहे हैं। आज इंडियन एक्सप्रेस, टाइम्स ऑफ इंडिया, द टेलिग्राफ जैसे अंग्रेजी अखबारों के पहले पन्ने की लीड खबर है भारत के प्रति अरब देशों में नाराजगी। कतर, ईरान और कुवैत ने भारतीय राजनयिकों को तलब किया और भारत में इस्लाम के प्रति नफरत फैलाने पर नाराजगी जाहिर की। कई देशों से भारतीय प्रोडक्ट के बहिष्कार की खबरें आईं। प्रधानमंत्री मोदी की तस्वीरें लगाकर विरोध जताया गया। इतनी बड़ी खबर को हिंदी के दो बड़े अखबारों हिंदुस्तान तथा दैनिक भास्कर ने पहले पन्ने पर जगह ही नहीं दी।
हिंदुस्तान की लीड खबर है भड़काऊ बयानों पर भाजपा सख्त। नूपुर शर्मा को निलंबित किया। दैनिक भास्कर के पहले पन्ने पर तो यह खबर भी नहीं है। हिंदुस्तान ने भाजपा के सख्त होनेवाली खबर में एक लाइन भी यह नहीं लिखा है कि आखिर क्या वजह है कि भाजपा सख्त हुई। क्यों पार्टी प्रवक्ता को निलंबित किया? यह हिंदी के पाठकों को देश के लिए महत्वपूर्ण खबरों से वंचित करना है। नौकरशाही डॉट कॉम ने हिंदी के कई पाठकों से पूछा कि आज की बड़ी खबर क्या है, तो जवाब में किसी ने आत्महत्या बताई, किसी ने बस हादसे की खबर की जनकारी दी, लेकिन कोई पाठक नहीं मिला, जिसे पता हो कि भाजपा प्रवक्ता के कारण जो अरब देश भारत के मित्र थे, जो भारत-पाकिस्तान में तनाव होने पर भारत के साथ रहे, वे नाराज हैं। भारत के राजनयिकों को तलब किया गया। किसी देश के राजनयिक को तलब करना बहुत बड़ी बात मानी जाती है। पाकिस्तान ने हमेशा इस्लामिक देशों को भारत से दूर करने की कोशिश की, लेकिन कभी उसे सफलता नहीं मिला, आज भाजपा के कारण पाकिस्तान खुश है।
आज @ttindia का पहला पन्ना। शब्दों के बीच से लेकर शब्दों के पार तक की थाह। साहस और ज़िम्मेदारी की पत्रकारिता। pic.twitter.com/ew81o2eV95
— Om Thanvi (@omthanvi) June 6, 2022
Arab देशों की नाराजगी अंग्रेजी में है, हिंदी अखबारों से गायब देशों में भारतीयों की प्रतिष्ठा हमेशा रही है। 70 वर्षों में पहली बार भारत को अपमानित होना पड़ा है। भारतीयों की प्रतिष्ठा को आघात लगा है। हमेशा हिंदी-हिंदी करनेवाले लोगों को हिंदी अखबारों के रवैये पर विरोध जताना चाहिए।
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