अरब देशों में बिजनेस के लिए झुके रामदेव, लेना पड़ा हलाल सर्टिफिकेट
अरब देशों में बिजनेस के लिए झुके रामदेव, लेना पड़ा हलाल सर्टिफिकेट। जमायत उलेमा-ए-हिंद हलाल ट्रस्ट की टीम ने जांच के बाद दिया हलाल सर्टिफिकेट।
बहुत कम लोगों को पता है कि रामदेव से जुड़ी कंपनी पतंजलि ने हलाल सर्टिफिकेट के लिए आवेदन किया था, जिसके बाद भारत में हलाल सर्टिफिकेट देनेवाली संस्था जमायत उलेमा-ए-हिंद हलाल ट्रस्ट की टीम ने रामदेव की कंपनी को हलाल सर्टिफिकेट दिया। हलाल सर्टिफिकेट देने से पहले जमायत-ए-उलेमा हिंद हलाल ट्रस्ट क् उलेमाओं की टीम ने पतंजलि फैक्ट्री की जांच की। यहां बनने वाले प्रोडक्ट के पूरे प्रोसेस को देखा और संतुष्ट होने के बाद हलाल सर्टिफिकेट जारी किया।
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सोशल मीडिया में हलाल शब्द के खिलाफ तथाकथित राष्ट्रवादी तत्व विरोध जताते रहते हैं। कर्नाटक चुनाव से पहले हलाल का काफी विरोध भी किया। हलाल प्रोडक्ट के बहिष्कार की मुहिम तक चलाई गई। ऐसे तत्वों को यह जानकर निराशा होगी कि खुद को राष्ट्रवादी कहने वाले रामदेव की कंपनी ने भी हलाल सर्टिफिकेट हासिल किया है।
अमर उजाला की खबर के मुताबिक पतंजलि योगपीठ ने हलाल प्रमाणपत्र पर अपना पक्ष स्पष्ट किया है। योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण ने बताया कि भारत में बहुराष्ट्रीय कंपनियां पतंजलि के खिलाफ जानबूझकर दुष्प्रचार करती है कि रामदेव के पतंजलि कंपनी ने हलाल मीट के निर्यात के लिए हलाल प्रमाणपत्र लिया है। बालकृष्ण ने कहा कि दरअसल में यह पतंजलि के खिलाफ दुष्प्रचार है। विदेशी कंपनियां चाहती हैं कि भारत में पतंजलि के उत्पादन बिकने बंद हो जाएं। अखबार लिखता है कि वास्तव में यह प्रमाणपत्र अरब देशों में आयुर्वेदिक दवाओं के निर्यात के लिए लिया गया है। आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि दुनिया के किसी भी देश को यदि अरब देशों में कोई सामान बेचना हो तो उन देशों में इसके लिए हलाल प्रमाणपत्र अनिवार्य किया है। यह प्रमाणपत्र केवल हलाल मीट के लिए नहीं किसी भी पदार्थ या वस्तु के लिए होता है।
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