Assam : ज्यादा बच्चे हुए तो नहीं मिलेगा योजनाओं का लाभ
Assam की भाजपा सरकार हर सरकारी योजना में ‘जनसंख्या मानदंड’ लागू करने जा रही है। इसका अर्थ है कि ज्यादा बच्चे हुए, तो योजनाओं का लाभ नहीं मिलेगा।
असम में भाजपा सरकार हर सरकारी स्कीम में ‘जनसंख्या मानदंड’ लागू करने जा रही है। पिछले हफ्ते ही राज्य के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने माइग्रेंट मुस्लिमों से कहा था कि वे छोटा परिवार रखें।
मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि ऋण माफी योजना सहित सभी सरकारी योजनाओं में जनसंख्या मानदंड रखा जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि चाय बगान मजदूरों, एससी और एसटी को इससे छूट रहेगी। राज्य की जनसंख्या और महिला सशक्तीकरण नीति के अनुसार जिनके दो से ज्यादा बच्चे हैं, वे सरकारी जॉब पाने के योग्य नहीं होंगे। इसके साथ ही वे पंचायती राज संस्थाओं के सदस्य नहीं बन सकते। ऐसे परिवार सरकार की विभिन्न लाभकारी योजनाओं का फायदा नहीं ले सकेंगे। इस नीति को इस वर्ष एक जनवरी से लागू माना जाएगा।
भाजपा सरकार के इस फैसले का कांग्रेस ने विरोध किया है। पार्टी ने नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे का आंकड़ा प्रस्तुत करते हुए कहा कि देश में कुल प्रजनन दर (fertility rate) लगातार घट रही है। यह सर्वें भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं महिला कल्याण मंत्रालय ने कराया, जो दिसंबर 2020 में जारी हुआ। अगर टीएफआर 2.1 है, तो यह रिप्लेसममेंट रेट मानी जाती है। इसका अर्थ है कि वर्तमान जनसंख्या नहीं बढ़ेगी। अगर प्रजनन दर 2.1 से कम होगी, तो इसका अर्थ है कि कुल जनसंख्या आज की जनसंख्या से कम होगी।
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कांग्रेस ने कहा कि वर्तमान में असम की प्रजनन दर 2015-16 के 2.2 से घटकर 2020-21 में 1.9 रह गई है। इसका अर्थ है कि असम की जनसंख्या आज की तुलना में भविष्य में कम होगी। स्पष्ट है, असम में एक नए विवाद की शुरुआत हो गई है।
पिछले दिनों लक्षद्वीप में भी ऐसे ही नियम लागू करने के प्रस्ताव आए हैं।
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