आजादी महोत्सव : नेहरू को हटा अंग्रेज से पेंशन लेनेवाले का फोटो
आजादी का अमृत महोत्सव शुरू हो गया है। भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद ने एक पोस्टर जारी किया, जिसमें नेहरू नहीं हैं। सावरकर है। क्या कह रहे लोग?
कुमार अनिल
नेहरू न सिर्फ देश के पहले प्रधानमंत्री हैं, वे अंग्रेजों से लड़ते हुए कुल 9 वर्ष तक जेल में रहे, बल्कि सबसे बढ़कर उन्होंने देश विभाजन के बाद लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता, विज्ञान और वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा दिया, संविधान की प्रस्तावना लिखी और भारत को आधुनिक राष्ट्र बनने की दिशा दी। उनकी तस्वीर आजादी के अमृत महोत्सव के पोस्टर से हटा दी गई है। भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद ने नेहरू को हटाकर सावरकर की तस्वीर लगा दी है, जो अंग्रेजों से पेंशन लेते थे।
नेहरू को हटाकर सावरकर की तस्वीर वाला पोस्टर जारी होते ही प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई है। कांग्रेस के तमाम बड़े नेताओं ने नेहरू का फोटो हटाने की आलोचना की है। कांग्रेस के सोशल मीडिया संयोजक गौरव पांधी ने कहा-सावरकर ने भारत छोड़ो आंदोलन के दरम्यान अंग्रेजों का साथ दिया। आजादी से पहले अंग्रेजों से पेंशन लेते रहे। सावरकर का फोटो गांधी, बोस, आंबेडकर, भगत सिंह, पटेल के साथ लगाना इन सारे महान नेताओं का अपमान है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि खुशी है कि आईसीएचआर ने नेहरू का अपमान नहीं किया।
गुजराती लेखक उर्वशी कोठारी ने कुछ भिन्न अंदाज में अपनी बात रखी। कहा- -कोई महिला नहीं,
-कोई मुस्लिम नहीं,
-कोई ईसाई नहीं,
-कोई सिख नहीं,
-नेहरू भी नहीं,
-कोई दक्षिण भारतीय नेता भी नहीं
ये देश में क्या हो रहा है?
पत्रकार साकेत गोखले ने लिखा- नरेंद्र मोदी जानते हैं कि वे अपने पीछे कोई महान विरासत नहीं छोड़ सकते। इतिहास उन्हें क्षुद्र अक्षम, अहंकार में डूबे उन्मादी जिन्होंने देश को बेचने की कोशिश के रूप में याद करेगा। जो इतिहास नहीं बना सकते, वे इसे दुबारा लिखने की कोशिश करते हैं। नेहरू और मौलाना आजाद का नाम मिटाने के लिए मोदी बहुत छोटे हैं।
पत्रकार रोहिणी सिंह ने कहा- नेहरू ने देश में उच्च कोटि की संस्थाएं स्थापित कीं। वे आधुनिक दौर के महान नेताओं में एक थे। उनका नाम पोस्टर से हटाया जा सकता है, लेकिन उनकी विरासत को आक किसी तरह मिटा नहीं सकते।
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