बंगाल में होगी Pegasus जासूसी की जांच, ममता का एलान
बंगाल देश का पहला प्रांत बना जहां इजराइली स्पाईवेयर Pegasus के जरिये नेताओं, पत्रकारों की जासूसी मामले की जांच होगी। जांच आयोग में कौन-कौन?
आज ममता बनर्जी ने पेगासस जासूसी मामले की जांच के लिए आयोग गठित करने की घोषणा की। जांच आयोग में दो सदस्य होंगे, जो पत्रकारों, नेताओं, अधिकारियों सहित सामाजिक कार्यकर्ताओं की जासूसी के आरोप की जांच करेंगे। जांच आयोग के गठन का निर्णय विशेष कैबिनेट मीटिंग में किया गया, जिसकी अध्यक्षता खुद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने की।
ममता बनर्जी ने कहा कि उन्हें उम्मीद थी कि इतने बड़े जासूसी कांड की जांच के लिए केंद्र सरकार जांच आयोग बनाएगी। लेकिन केंद्र सरकार मिट्टी की मूरत बनी बैठी है। इसीलिए आयोग बनाने का निर्णय हमने लिया।
दो सदस्यीय जांच आयोग का नेतृत्व कलकत्ता हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस ज्योतिर्मय भट्टाचार्य करेंगे। आयोग के दूसरे सदस्य होंगे सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश मदन भीमराव लोकुर। मालूम हो कि फोन में घुसकर जिवकी जासूसी किए जाने की आशंका है, उनमें प. बंगाल के लोग भी हैं।
प. बंगाल की ममता सरकार के इस निर्णय से राजनीतिक क्षेत्र में हड़कंप मच गया है। अब तक फ्रांस सहित कई देश और खुद इजराइल ने भी पेगासस मामले में जांत के आदेश दिए हैं, पर भारत सरकार अब तक किसी जासूसी से इनकार करती रही है। अब ममता बनर्जी के इस फैसले से राजनीति गरमा गई है। सोशल मीडिया पर लोग कह रहे हैं कि अब खेला होबे।
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ममता बनर्जी ने जांच आयोग गठिक करके केंद्र की मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है। अब तक भारत सरकार पेगासस मामले में एमनेस्टी सहित अंतरराष्ट्रीय जांच के परिणाम को खारिज करती रही है। अब ममता बनर्जी ने उच्च स्तरीय जांच आयोग बनाकर खासकर पूर्व न्याधीशों को शामिल करके भाजपा के लिए नई परेशानी खड़ी कर दी है। केंद्र की मोदी सरकार इस जांच आयोग के खिलाफ जाती है, तो उसके लिए परेशानी बढ़ जाएगी। अगर केंद्र की मोदी सरकार चुप रहती है, तो रोज-रोज नए खुलासे होंगे, जो भाजपा नेतृत्व के लिए गले की फांस बनेंगे।
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