बेशर्मी व बेईमानी पर उतरे मोदी, बिहार को एक गुजरात को 31 यूनिट
JDU ने केंद्र की मोदी सरकार पर बिहार के साथ साजिश रचने का आरोप लगाया। कहा, कृषि प्रधान बिहार को एक फूड प्रोसेसिंग यूनिट दिया और अपने गुजरात को 31।
जदयू ने गुरुवार को केंद्र की मोदी सरकार को जबरदस्त घेरा। कहा कि केंद्र सरकार बिहार को गरीब बनाए रखना चाहती है। बिहार कृषि प्रधान प्रदेश है, लेकिन यहां के लिए सिर्फ एक फूड प्रोसेसिंग यूनिट दिया, जबकि अपने गृह प्रदेश के सबसे ज्यादा 31 यूनिट दिया। उत्तर प्रदेश को 26 यूनिट दिया।
जदयू के प्रदेश प्रवक्ता पूर्व विधान पार्षद डाॅ. रणवीर नन्दन ने केंद्र सरकार की नीतियों पर खुला वार किया है। उन्होंने बिहार के साथ केंद्र का सौतेला व्यवहार लगातार जारी है। यहां सत्ता में थे तो छुप छुपाकर भाजपा बिहार के साथ भेदभाव करती थी। अब सरकार से अलग होने के बाद सब खुलेआम होने लगा है।
प्रधानमंत्री किसान सम्पदा योजना के तहत फूड प्राॅसेसिंग और संग्रहण के बिहार को मात्र एक यूनिट आवंटित किया गया है, जबकि गुजरात को 31, उत्तर प्रदेश को 26, महाराष्ट्र को 41, आसाम को 21 और हरियाणा जैसे छोटे राज्य को 14 यूनिट आवंटित किया गया है।
प्रो. नंदन ने कहा कि केंद्र सरकार की आत्मनिर्भर योजना के जरिए 2 लाख से अधिक फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाने में मदद की जानी थी। लेकिन बिहार में तो यह आंकड़ा 2 दर्जन भी नहीं पहुंच सका। बिहार की आबादी, देश की आबादी का लगभग 10 प्रतिशत है। बिहार के किसान विपरीत परिस्थितियों में भी खेती कर रहे हैं, बेहतर उत्पादन की ओर अग्रसर हैं। जबकि बिहार में आलू, केला, मखाना, टमाटर, आम सहित अन्य फूड आइटम्स की पैदावार होती है। लेकिन पर्याप्त स्थानीय प्रोसेसिंग यूनिट के अभाव में फसल का एक बड़ा हिस्सा बरबाद भी हो जाता है।
एसोचैम की रिपोर्ट से स्पष्ट है कि फसल और सब्जियों के नुकसान के मामले में बिहार दूसरे नंबर पर है। बिहार में सालाना लगभग 10,700 करोड़ रुपए से अधिक की फसल बरबाद हो जाती है। लेकिन जब अधिक से अधिक फूड प्रोसेसिंग यूनिट की स्थापना बिहार में होगी तो न फसल बरबाद होगी और न ही किसानों को नुकसान होगा। अगर केंद्र सरकार को समेकित विकास की चिंता होती तो बिहार में फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाने का काम बड़े पैमाने पर होना चाहिए था। लेकिन ऐसा किया नहीं जा रहा, क्योंकि भाजपा जैसे तैसे बिहार के लोगों के साथ भेदभाव कर रही है।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2003 और 2019 के दौरान बिहार में 100 लाख नए दुधारू पशुओं की संख्या बढ़ी, जो पूरे हिंदुस्तान में दुधारू पशुओं की संख्या में हुई वृद्धि का 35 प्रतिशत हिस्सा था। इसी तरह आज बिहार हिंदुस्तान का चैथा सर्वाधिक सब्जी और आठवाँ सर्वाधिक फल उत्पादन करने वाला राज्य है। वर्ष 2005-06 में राज्य में सब्जी उत्पादन 72 लाख टन हुआ करता था, जो कि 2018-19 में बढ़कर 166.03 लाख टन हो गया। सब्जियों के इतने भारी मात्रा में उत्पादन के बावजूद बिहार में कोल्ड-स्टोरेज की संख्या हरियाणा जैसे छोटे राज्य से भी कम है। आंकड़ो पर नजर डालें तो 2017 से 2020 तक तीन सालों में हरियाणा में 23 कोल्ड स्टोरेज बनाये गए और बिहार में कोल्ड स्टोरेज की संख्या में मात्र 6 कोल्ड स्टोरेज की वृद्धि हुई । वहीँ गुजरात में इस दौरान 216 कोल्ड स्टोरेज बनाये गए।
उत्तर प्रदेश में इस दौरान 121 कोल्ड स्टोरेज बनाये गए और हिमाचल प्रदेश में भी 13 कोल्ड स्टोरेज बनाये गए जो कि देश में सर्वाधिक सब्जी और फल उत्पादित करने वालों राज्यों में से एक बिहार से दुगुना से भी ज्यादा है।
प्रो0 नंदन ने कहा कि वैसे तो केंद्र सरकार योजनाओं का राजनीतिकरण नहीं करती तो बिहार जैसे प्रदेश किसी भी दूसरे प्रदेश से कमतर नहीं रह सकते। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार द्वारा बिहार के साथ भेदभाव का सबसे बड़ा सबूत उपर्युक्त टेबल के आंकड़े दे रहे हैं। भाजपा सरकार ने बिहार में कोल्ड चेन, वैल्यू एडिशन एवं संरक्षण के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए पिछले वर्षों में बिहार को एक भी रुपया नहीं दिया है। जबकि इस दौरान गुजरात, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश एवं तेलंगाना को केंद्र ने ना केवल आर्थिक सहायता दी है बल्कि वहां इसके लिए यूनिट्स भी लगाये हैं।
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