भिड़ गए कांग्रेस व राजद, दोनों की राहें हुईं अलग
बिहार में महागठबंधन टूट गया। विवाद की शुरुआत दो विधानसभा क्षेत्रों के उपचुनाव से हुई। कांग्रेस ने कहा, वह 2024 में सभी सीटों पर लड़ेगी। राजद ने क्या कहा?
कुमार अनिल
कुशेश्वरस्थान और तारापुर में हो रहे उपचुनाव से शुरू हुआ विवाद कांग्रेस और राजद की एकता में टूट का कारण बन गया। आज अखिल भारतीय कांग्रेस समिति की तरफ से बिहार कांग्रेस के प्रभारी भक्त चरण दास ने स्पष्ट कर दिया कि 2024 लोकसभा चुनाव में पार्टी सभी 40 लोकसभा सीटों पर स्वतंत्र ढंग से लड़ेगी। दास का यह बयान आज आया, जब कांग्रेस के तीन युवा नेता कन्हैया कुमार, जिग्नेश मेवानी और हार्दिक पटेल पटना पहुंचे। तीनों नेता दोनों उपचुनाव में पार्टी का प्रचार करने आए हैं।
कांग्रेस के बयान का राजद ने भी कुछ ही देर में जवाब दे दिया। राजद प्रवक्ता चितरंजन गगन ने कहा कि कांग्रेस अगर यह समझती है कि वह क्षेत्रीय दलों की उपेक्षा करके अकेले भाजपा को हरा सकती है, तो वह देश की सभी लोकसभा सीटों पर अकेले ही चुनाव लड़ ले। राजद प्रवक्ता ने अपने तीन लाइन के जवाब में कहा-कौंग्रेस यदि यह महसूस करती है कि वह क्षेत्रीय दलों को नजरअंदाज कर भी अकेले अपने बुते भाजपा को हरा सकती है तो 40 क्या 543 सीटों पर भी लड़ने को स्वतंत्र है और भाजपा को हराकर अपनी सरकार बना ले।
मालूम हो कि विवाद की शुरुआत कुशेश्वरस्थान सीट में प्रत्याशी देने से हुई। यहां पिछली बार कांग्रेस-राजद महागठबंधन की तरफ से कांग्रेस के प्रत्याशी थे। कांग्रेस का दावा था कि यह उसकी सीट है। राजद ने यहां से प्रत्याशी दिया। राजद का कहना था कि ये उपचुनाव में भाजपा-जदयू को हराना जरूरी है और राजद ही जदयू को हरा सकता है। इसके साथ ही राजद को वाम दलों का समर्थन मिल गया। इसके बाद कांग्रेस ने कुशेश्वरस्थान के साथ ही तारापुर से भी प्रत्याशी दे दिया।
वैसे जिस दिन कन्हैया कुमार कांग्रेस में शामिल हुए, उसी दिन से एक विचार यह आने लगा कि कांग्रेस महागठबंधन से अलग हो सकती है। अब उसे इस उपचुनाव ने एक मौका दे दिया। कांग्रेस अपने पुराने समीकरण- सवर्ण खासकर ब्राह्मण, मुस्लिम और दलित को फिर से जिंदा करना चाहेगी। शायद इसीलिए जिग्नेश मेवानी का कार्यक्रम रखा गया है। फिर भी अकेले कांग्रेस का अपने बूते खड़ा होना आसान नहीं होगा, क्योंकि आज की तारीख में उसके पास अपना ठोस आधार नहीं है। अब देखना है कि कांग्रेस किस प्रकार राजद से प्रतियोगिता करते हुए भाजपा के खिलाफ खुद को मजबूत दिखा पाती है।
राजद के लिए भी कांग्रेस से अलग होकर अकेले ए टू जेड की पार्टी बनना आसान नहीं होगा। कांग्रेस के साथ रहने से सर्वजन की एक छवि बनती थी। अब देखना है कि राजद किस प्रकार अपनी रणनीति तय करता है।
कन्हैया, जिग्नेश व हार्दिक पटना पहुंचे, अब गरमाएगी सियासत