बिहार कैबिनेट का फैसला, शिक्षक भर्ती में बिहारी होना अनिवार्य नहीं
बिहार कैबिनेट का फैसला, शिक्षक भर्ती में बिहारी होना अनिवार्य नहीं। कैबिनेट ने बदल दी शिक्षक भर्ती नियमावली। विधायक विकास राशि बढ़कर 4 करोड़ हुई।
नीतीश कैबिनेट ने मंगलवार को बड़ा फैसला लिया है। अब बिहार में शिक्षक बनने के लिए बिहार का स्थानीय निवासी होना अनिवार्य नहीं है। इसका अर्थ है कि देश के किसी भी प्रांत के अभियर्थी बिहार में शिक्षक भर्ती के लिए आवेदन कर सकते हैं। नीतीश सरकार ने नियुक्ति के लिए नियमावली में संशोधन कर दिया है। पहले शिक्षक बनने के लिए बिहार का निवासी होना अनिवार्य था। यह नियम हटते ही अब देश के किसी भी प्रदेश के युवा इस भर्ती में शामिल हो सकते हैं।
मालूम हो कि बिहार में एक लाख 70 हजार शिक्षकों की भर्ती की अधिसूचना जारी हो चुकी है। इसके लिए 15 जून 2023 से आवेदन लिये जा रहे हैं। आवोदन देने की अंतिम तारीख 12 जुलाई है। याद रहे कुछ शिक्षक संगठनों ने शिक्षक भर्ती के लिए आवेदन नहीं करने की घोषणा कर रखी थी। वे इसके लिए अभियान चला रहे थे। वे सरकार से बिना परीक्षा के राज्यकर्मी का दर्जा मांग रहे थे।
नीतीश कैबिनेट ने मंगलवार को 25 एजेंडों पर मुहर लगाई है। इनमें शिक्षक भर्ती नियमावली में संशोधन के साथ ही बिहार राज्य विद्यालय अध्यापक नियुक्ति, स्थानांतरण, अनुशासनिक कार्रवाई एवम सेवाशर्त संशोधन नियमावली 2023 की स्वीकृति दी गई। एक अन्य फैसले में विधायक और विधान पार्षद के लिए विकास राशि को तीन करोड़ से बढ़ा कर चार करोड़ कर दिया गया है। याद रहे नीतीश सरकार ने दरभंगा मेडिक कॉलेज अस्पताल को पीएमसीएच की तर्ज पर बड़ा अस्पताल बनाने का फैसला लिया है, जिसमें 2500 नए बेड तथा चिकित्सा के आधुनिक साधन खरीदने का प्रावधान किया गया है।
शिक्षक नियमावली को पहले रद्द करने की मांग करने वाले संगठनों की प्रतिक्रया अभी तक नहीं आई है। सोशल मीडिया पर कई लोग नीतीश सरकार के फैसले पर तंज जरूर कस रहे हैं।
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