बिहार चुनाव का दूसरा चरण: क्या महागठबंधन का बढ़ेगा दायरा, एनडीए में होगा ‘त्राहि माम’ ?

बिहार में दुसरे चरण का मतदान 3 नवम्बर को होना है. इमेज क्रेडिट – दैनिक भास्कर

शाहबाज़ की विशेष रिपोर्ट

बिहार में दुसरे चरण का मतदान कल होना है. पहले चरण में पिछड़ चुकी बीजेपी और जदयू के सामने अब अस्तित्व बचाने की चुनौती हैं वहीँ राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और कांग्रेस के काउंटर पोलराइज़ेशन से महागठबंधन का दायरा बढ़ने की उम्मीद भी परवान चढ़ चुकी है.

बिहार चुनाव के अंतर्गत दुसरे चरण में कुल राज्य के 17 जिलों के कुल 94 विधानसभा सीटों पर चुनाव मंगलवार को होने वाला है. दूसरे चरण के लिए आरजेडी के 56, बीजेपी के 46, जेडीयू के 43 और कांग्रेस के 24 उम्मीदवार चुनावी लडाई में हैं. वहीँ वाम दलों में सीपीआई-एमएल के 6, सीपीआई के 4 और सीपीएम के भी 4 उम्मीदवार दुसरे चरण में चुनाव मैदान में हैं.

दुसरे चरण में तमाम राजनीतिक दलों के कुल 1463 प्रत्याशी चुनावी मैदान में हाज़िर हैं. राघोपुर एवं हसनपुर विधानसभा क्षेत्रों पर सबकी नज़रें होंगी. क्यूंकि राघोपुर से राजद नेता एवं महागठबंधन CM उम्मीदवार तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) चुनावी मैदान में हैं. वहीँ हसनपुर से तेज प्रताप यादव चुनाव लड़ रहे हैं.

बिहार चुनाव के प्रथम चरण में रोज़गार, शिक्षा, स्वस्थ्य और उद्योगों की चौपट हालात से एनडीए खेमा ज़बरदस्त दबाव का शिकार हुआ और राज्य की कुल 71 सीटों पर मतदान के बाद जनता के रुझानों से राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में त्राहि माम की सदा सुनाई देने लगी.

नौकरियां ही नहीं, टीम तेजस्वी के सोशल जीनियरिंग से भी बेचैन है NDA

मंगलवार को जिन 94 सीटों के लिए मतदान होगा उसमें से उस पर थोड़ी चर्चा कर लें. इस समय 50 पर एनडीए का और 41 पर महागठबंधन का क़ब्ज़ा है. इस लिहाज़ से पहले चरण में प्रतिकूल एंटी-इनकमबेंसी वेव झेल चुकी एनडीए के सामने अब अपना किला बचाने की चुनौती है.

राष्ट्रीय जनता दल (RJD) की नयी सोशल इंजीनियरिंग और काउंटर पोलराइज़ेशन की राजनीति से दुसरे चरण में भी एनडीए के ‘संकुचित’ होने की सम्भावना जताई जा रही है. राजद ने टिकेट बटवारे में सभी वर्गों एवं महिलाओं को टिकट देकर अपनी ही पुरानी पहचान (पिछड़ों, अल्पसंख्यकों और दलितों की पार्टी) को नया विस्तार दिया. इस सोशल इंजीनियरिंग के साथ साथ जातिगत एवं धार्मिक धुर्विकरण का जवाब युवा मुद्दों की राजनीति (रोज़गार,शिक्षा, पलायन) कर दिया गया. इस काउंटर पोलराइज़ेशन से एनडीए को रणनीतिक रूप से गहरा अघात पहुंचा है.

राष्ट्रीय जनता दल नेता एवं महागठबंधन के मुख्यमंत्री उम्मीदवार तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने अपने ट्वीट में कहा “बेरोजगारी और मौलिक तथ्यों को दरकिनार कर अगर वो व्यक्तिगत आलोचना कर रहे है तो मैं क्या कह सकता हूँ? अगर कोई कमी है तो उन्हें नेतृत्व कुशलता, नीतिगत फ़ैसलों व वैचारिकता की आलोचना करनी चाहिए ना कि व्यक्तिगत। बिहार की 60 फ़ीसदी आबादी युवा है इन्हें युवा का वोट चाहिए लेकिन नेता नहीं”।

एनडीए खेमे की प्रमुख पार्टी बीजेपी को कांग्रेस से भी गहरा अघात लगा है. कांग्रेस ने मुंगेर गोलीकांड पर आक्रामक राजनीति कर भाजपा के वोट बैंक में सेंध लगा दी है. दुसरे चरण में कांग्रेस के 24 उम्मीदवार चुनावी मैदान में है जिसमें उन्हें बढ़त मिलने की उम्मीद है. इसकी दो वजहें हैं पहली सीमांचल में कांग्रेस की स्थिति है वहीँ भाजपा से नाराज़ सवर्ण भी अब पाला बदलने की फ़िराक मैं है क्यूंकि मुंगेर में श्रद्धालुओं पर हिंसा मामले में काफी नाराज़गी है. मुंगेर में तो कई इलाकों के वोटरों ने घटना के विरोध में पहले चरण में मतदान ही नहीं किया था.

एनडीए गठबंधन चिराग पासवान की वजह से भी गहरे दबाव में है. जिन सीटों पर जदयू चुनाव लड़ रही है वहां पर लोजपा भी मैदान में है. इससे जदयू को ज्यादा नुकसान की आशंका है. वहीँ भाजपा के दबाव का कारण मुंगेर गोलीकांड पर कांग्रेस द्वारा लगातार आक्रामक राजनीति है. इससे कांग्रेस को फायदा मिलने की उम्मीद है.

Public Affairs Index:सुशासन में बिहार क्यों है आखरी पायदान पर ?

बिहार चुनावों में महिलाओं का भी बहुत बड़ा वोटर बेस है. यह जानते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शराबबंदी के बहाने महिला वोटरों को अपने पक्ष में एकजुट रखने की नीति पर काम करते हैं. लेकिन अब महिलाएं भी बड़ी संख्या में एनडीए का साथ छोडती दिख रही है क्यूंकि उनके सामने मंहगाई की नयी चुनौती आ गयी है. इसलिए ज़बरदस्त नाराज़गी है.

राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने भी ट्वीट कर इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया है. उन्होंने अपने ट्वीट में पटना में सब्जियों के आसमान छूते दामों की लिस्ट जारी की और कहा “पिअजवा अनार हो गईल बा..”. उनकी सूची के मुताबिक पटना में प्याज 70 रूपये किलोग्राम, आलू – 45 और टमाटर – 60 रूपये प्रति किलोग्राम बिक रहा है. जो महिलाओं के लिए असहनीय बात है.

राजद नेता एवं महागठबंधन CM उम्मीदवार तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) भी लगातार प्याज़ के दामों के बहाने बिहार में एनडीए सरकार में बढती मंहगाई को लेकर आक्रामक राजनीति कर रहे हैं. इससे महिलाएं भी उनसे जुड़ रही हैं और जदयू के महिला वोटर बेस सेंध लगने की आशंका और बढ़ गयी है.

महिलाओं के जदयू से दूर जाने की एक और संभावित वजह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा यह कहा जाना कि “लोग आठ-आठ नौ-नौ बच्चे पैदा करते हैं”, यह बयान मुख्यमंत्री ने एक चुनावी सभा में दिया था. जिसे राजद नेता तेजस्वी यादव ने महिलाओं का अपमान करार दिया था.

By Editor


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