बिहार कला विभाग : कलाकारों ने पेंटिंग में दिखाई स्त्री ताकत
बिहार कला, संस्कृति विभाग के कलाकारों ने शांति निकेतन में पेंटिंग में दिखाई स्त्री ताकत। एक आईएएस ने शेयर किया धान के भूसे से बनते हैं टी ग्लास, टिफिन..।
भारत में महिलाओं की छवि बदल रही है। इसका नजारा देखने को मिला Eastern Zonal Cultural Centre में, जहां बिहार की कलाकारों ने नई स्त्री शक्ति से परिचित कराया। शांति निकेतन के सृजन शिल्पग्राम में 27 दिसंबर से यह कैंप शुरू हुआ है, जो 5 जनवरी तक चलेगा।
इस कैंप में बिहार की मंजूषा कला में एक कलाकार ने सफलता के बाद जश्न मनाती युवा महिला की पेंटिंग बनाई, जिसे खूब सराहा गया। बिहार सरकार के कला संस्कृति विभाग ने यह चित्र सोशल मीडिया पर भी शेयर किया है। इस कैंप में गुरु मनोज पंडित अपनी तीन शिष्याओं के साथ मंजूषा कला का प्रदर्शन कर रहे हैं। विभूति झा अपने तीन सहयोगियों के साथ मिथिला पेंटिंग का प्रदर्शन कर रहे हैं। इनकी पेंटिंग को भी सराहा जा रहा है। शिल्पग्राम में बिहार की लोक कला को देखने बड़ी संख्या में लोग आ रहे हैं।
अब तक स्त्री को बस माता की भूमिका में, घर संभालती महिला के रूप में या काम-काज में डूबी स्त्री के रूप में ही चित्रित किया जाता रहा है। अब शिल्प ग्राम में बिहार की मंजूषा कला में एक स्त्री को जिस उन्मुक्तता के साथ, खुशी मनाती, अपनी किसी जीत पर जश्न मनाती स्त्री के रूप में चित्रित किया गया है, वह लोगों का ध्यान खींचता है। यहां स्त्री पुरुष के पीछे-पीछे चलनेवाली नहीं, बल्कि अपनी राह खुद बनाती दिख रही है।
उधर, आईएएस अधिकारी सुप्रिया साहू ने एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें धान के चोकर से चाय के कप, नाश्ता ले जाने के लिए टिफिन आदि बनाए गए हैं। यह इको फ्रेंडली भी है और उपयोग करनेवाले व्यक्ति के लिए सुंदर उपयोगी भी। इससे खेती से जुड़े किसानों को भी लाभ होगा। अधिकारी ने कहा कि प्लास्टिक के टी कप छोड़कर इसे अपनाएं। इसमें सबका भला है।
Food containers made out of rice bran are leak proof, affordable, disposable and earth friendly. Hotels,restaurants food joints, its time for you to stop using banned plastic packaging in TN and switch to sustainable eco alternatives #meendummanjappai #Manjapai pic.twitter.com/n4U2x0gNur
— Supriya Sahu IAS (@supriyasahuias) December 29, 2021