बिहार में महागठबंधन में समन्वय समिति बनने के बाद एनडीए में भी समन्वय समिति बनाने के लिए दबाव बढ़ गया है। सबसे ज्यादा चिंता छोटे दलों को है। जदयू नेताओं नेताओं का एक हिस्सा भी चाहता है कि समन्वय समिति बने और नीतीश कुमार को संयोजक बनाया जाए। खुद नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार इसी तरह की मांग कर चुके हैं।

महागठबंधन ने समन्वय समिति बनाने के साथ ही तेजस्वी यादव को चेयरमैन बना कर एनडीए की परेशानी बढ़ा दी है। बिहार एनडीए में इस तरह की व्यवस्था नहीं रहने से जदयू नेताओं में चिंता देखी जा रही है। नौकरशाही डॉट कॉम से बातचीत में एक दजयू नेता ने कहा कि पार्टी की स्थिति ठीक नहीं है। कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा तथा केंद्रीय मंत्री ललन सिंह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा की तैयारी में जी-जान से जुटे हैं। इतनी तैयारी तो नीतीश कुमार की सभा के लिए भी नहीं की जाती। इन सब बातों को देखते हुए राज्य स्तर के नेताओं में चिंता इस बात की है कि ऐन चुनाव के समय भाजपा उनकी सीटों पर दावा कर सकती है, जिससे उनका राजनीतिक भविष्य खतरे में पड़ जाएगा।

छोटे दलों में उपेंद्र कुशवाहा भी असंतुष्ट बताए जा रहे हैं। उन्हें अब तक इस बात की जानकारी ही नहीं है कि उनके दल को कितनी सीटें दी जाएंगी। हम के संरक्षक जीतनराम मांझी भी 40 सीटों की मांग कर चुके हैं, लेकिन उनकी बात सुनने वाला कोई नहीं है। उनके सामने भी आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर अभी तक कोई स्पष्टता नहीं है।

आज की स्थिति में भाजपा को छोड़ कर एनडीए में शामिल सभी दल समन्वय समिति बनाने की चाहत रखते हैं, लेकिन खुल कर बोलने का कोई साहस नहीं दिखा रहा।

इस बीच एनडीए में मुख्यमंत्री पद के लिए चेहरे के नाम पर जबरदस्त खींचतान की खबर है। दर्जन भर नेता खुद को मुख्यमंत्री के फेस के रूप में देखना चाहते हैं।

वक्फ पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से जोश में राजद, कह दी बड़ी बात

 

By Editor