बिहार स्कूली शिक्षा : पढ़ाई पर नहीं, सफाई पर होगी ग्रेडिंग
आपको याद है नीति आयोग ने स्कूल एजुकेशन क्वालिटी इंडेक्स (SEQI) जारी किया था, जिसमें बिहार नीचे से सेकेंड था। लगता है बिहार सरकार ने कोई सबक नहीं लिया।
आज सत्तारूढ़ दल जदयू ने एक पोस्टर जारी किया है, जिसमें बताया गया है कि साफ-सफाई के आधार पर राज्य के स्कूलों की ग्रेडिंग होगी। जो सबसे ज्यादा साफ-सुथरे स्कूल होंगे उन्हें पुरस्कार दिया जाएगा।
शायद आपको याद हो, दो साल पहले अक्टूबर, 2019 में नीति आयोग ने देश में स्कूली शिक्षा के स्तर की ग्रेडिंग की थी। उसका आधार स्कूल में कितने गमले हैं और कितने फूल लगे हैं, यह नहीं था, बल्कि एक नंबर पर था गुणवत्ता। स्कूल एजुकेशन क्वालिटी इंडेक्स (SEQI) में केरल पहले स्थान पर था। 20 राज्यों में बिहार का स्थान नीचे से दूसरा था। तब बिहार में क्वालिटी एडुकेशन पर खूब चर्चा हुई थी।
दुनियाभर के स्कूलों की ग्रेडिंग का पहला आधार पढ़ाई और रिजल्ट होता है, लेकिन बिहार सरकार ने पढ़ाई और रिजल्ट, गुणवत्ता और इन्फ्रास्ट्रक्चर इन सबसे ऊपर सफाई को रखा है।
बिहार सरकार का यह निर्णय क्या सोचकर लिया गया है, इसकी जानकारी तो जदयू ने अपने पोस्टर में नहीं दी है, लेकिन इस निर्णय से यह तय है कि अब पूरा शिक्षा महकमा पढ़ाई की क्वालिटी बेहतर करने के बजाय स्कूलों में गमले और फूल लगाने में जुट जाएगा।
बिहार सरकार के इस निर्णय से राज्य के कमजोर वर्ग की बड़ी आबादी का निराश होना तय है। अगर वे चाहते हैं कि उनका बच्चा पढ़ाई में अच्छा करे, तो उन्हें मजबूरन बच्चे को प्राइवेट स्कूलों में भेजना होगा, जो उनके लिए नई मुश्किलें लाएगा। वहीं, वह समाज का सबसे कमजोर हिस्सा, जो अपने बच्चे को प्राइवेट में नहीं भेज सकता, उसे मान लेना चाहिए कि उसके बच्चे के लिए जीवन में कुछ नया करने के रास्ते बंद हैं। शिक्षक भर्ती और शिक्षकों की गुणवत्ता बढ़ाने के सवाल पर ग्रेडिंग नहीं हो रही है, तो इसका असर शिक्षक-छात्र अनुपात के मानक पर क्या होगा, आप खुद समझिए।
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