BJP का मध्यप्रदेश में कर्नाटक जैसा हाल, खड़गे ने 29 को बुलाई बैठक
कर्नाटक में BJP की भारी पराजय के पीछे एक बड़ा कारण पार्टी के भीतर की उठापटक थी। उसकी वही स्थिति मप्र में है। जोश में कांग्रेस। खड़गे ने 29 को बुलाई बैठक।
कर्नाटक में सत्ता गंवाने के बाद क्या भाजपा मध्य प्रदेश में भी सत्ता से बाहर होगी? कर्नाटक में भाजपा की भारी पराजय के पीछे एक बड़ा कारण पार्टी के भीतर की खींचतान और उठापटक थी। उसकी वही स्थिति मध्य प्रदेश में भी दिख रही है। अभी से कांग्रेस से भाजपा में गए केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक और शिवराज सिंह चौहान समर्थकों में सिरफुटौव्वल शुरू हो गई है। बात इतनी बढ़ गई है कि खबरें मीडिया में आ रही हैं। उधर कांग्रेस में जोश दिख रहा है।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कुछ ही महीनों में साबित कर दिया है कि वे गांधी परिवार के रबर स्टांप नहीं हैं, बल्कि स्वतंत्र रूप से निर्णय ले रहे हैं। पार्टी के सभी निर्णय वे खुद ले रहे हैं। ऐसा करने के दौरान वे सभी को साथ लेकर चल रहे हैं। राहुल गांधी भी उन्हीं के घर जा रहे हैं। अब खड़गे ने मध्य प्रदेश के नेताओं की 29 मई को बुलाई बैठक बुलाई है। माना जा रहा है कि बैठक में मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तथा पार्टी द्वारा जनता को दी जाने वाली गारंटी पर चर्चा होगी।
पहले माना जाता था कि भाजपा और उसके नेता खासकर प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह साल के 365 दिन तथा 24 घंटे चुनावी मोड में रहते हैं। लेकिन मध्य प्रदेश में अभी तक भाजपा अपनी चुनावी तैयारी शुरू नहीं कर पाई है। इस बीच उसके भीतर की लड़ाई अब खुल कर बाहर आ रही है। इसके विपरीत कांग्रेस ने तैयारी शुरू कर दी है। अहर वह मुख्यमंत्री पद के लिए पार्टी उम्मीदवार के नाम की घोषणा कर देती है, तो भाजपा पर दबान बढ़ जाएगा। भाजपा ने वर्तमान मुख्यमंत्री को ही चुनाव में अगला मुख्यमंत्री उम्मीदवार बनाएगी, इसे लेकर संशय जताया जा रहा है।
2019 में सिंधिया को हरा चुके भाजपा सांसद केपी यादव ने मीडिया के सामने बड़ा आरोप लगाया। कहा सिंधिया जिस थाली में खाते हैं, उसी में छेद करते हैं। भाजपा कई खेमों में बंटी दिख रही है। हाल में मुख्यमंत्री चौहान तथा कई नेताओं की बैठक हुई, जिसमें सिंधिया को नहीं बुलाया गया। सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़कर भाजपा में गए विधायकों और मंत्रियों के खिलाफ बगावत दिख रही है। उन्हें टिकट दिए जाने का विरोध हो रहा है।
इस बीच भाजपा के कई बड़े नेता पार्टी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा या अमित शाह ने मध्य प्रदेश में सिरफुटौव्वल रोकने के लिए कुछ किया हो, ऐसा दिखता नहीं। इसी का नतीजा है कि पार्टी में उठापटक बढ़ती जा रही है। इसके विपरीत कांग्रेस एकजुट दिख रही है। उसमें खोई हुई सत्ता फिर से पाने के लिए ललक भी दिख रही है। मध्य प्रदेश में बहुत कुछ होने वाला है, नजर रखिए।
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