BJP के ढोल में हो गया छेद, 40 लाख हीरा कारीगरों ने किया बायकॉट
अमित शाह 2002 दंगे की याद दिला रहे। भाजपा नेता सद्दाम, पाकिस्तान, सिविल कोड को ले आए, पर ढोल बज नहीं रहा। लाखों हीरा कारीगर भाजपा का करेंगे बहिष्कार।
देश के गृह मंत्री अमित शाह कह रहे हैं कि 2002 में सबक सिखाया गया। उसके बाद से गुजरात में शांति है। मतलब साफ है। उनके निशाने पर खास समुदाय है। 2002 की याद दिला कर दरअसल शाह हिंदुओं को उद्वेलित करना चाहते हैं। भाजपा शासित कई राज्यों के मुख्यमंत्री, कई केंद्रीय मंत्री, सांसद गुजरात में दिन-रात हिंदू-मुसलमान वाले मुद्दे उठा रहे हैं। असम के मुख्यमंत्री सरमा ने राहुल गांधी की तुलना सद्दाम हुसैन से की। चुनाव घोषणा पत्र में भाजपा ने समान नागरिक संहिता की बात की है। लेकिन लगता है हिंदू-मुस्लिम करने के नारे, बयान बेअसर हो रहे हैं। ढोल से आवाज नहीं निकल रही है। भाजपा के बड़े नेताओं की सभा में बीड़ नहीं जुट रही है।
इधर, भाजपा के लिए बहुत बुरी खबर है। गुजरात हीरा कारोबार के लिए भी जाना जाता है। यहां 40 लाख हीरा कारीगरों के संगठन ने भाजपा के बहिष्कार की घोषणा कर दी है। इससे भाजपा में चिंता की लहर दौड़ गई है। द डायमंड वर्कर्स यूनियन गुजरात ( डीडब्ल्यूजी) राज्य में हीरा कारीगरों का सबसे बड़ा यूनियन है। यूनियन ने 25 हजार सदस्यों को पत्र लिखकर भाजपा को वोट नहीं देने की अपील की है। यूनियन के 150 वाट्सएप ग्रुप में 40 हजार सदस्य जुड़े हैं। उन्हें भी मैसेज दिया गया है। यूनियन के फेसबुक से 80 हाजर कारीगर जुड़े हैं। हर मंच से यूनियन ने भाजपा के बहिष्कार का एलान कर दिया है।
गुजरात में भाजपा के इतिहास में पहली बार 19 बागी चुनाव लड़ रहे हैं। इससे भाजपा के अनुशासित दल होने के दावे की हवा निकल गई है। प्रधानमंत्री मोदी तथा भाजपा के चाणक्य अमित शाह के कैंप करने के बाद भी ये बागी मैदान से नहीं हटे। वहीं सरकार से नाराजगी हर जगह दिखती है। इसीलिए भाजपा जनता के मुद्दे महंगाई, बेरोजगारी पर बात नहीं कर रही है और चाहती है कि चुनाव हिंदू-मुस्लिम एजेंडे पर हो।
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